नई दिल्लीः उपवास और व्रत के आरोग्य लाभ से संपन्न भारतीय मनीषा एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या तिथियों को बहुत महत्व देती है. इसलिए यह तीनों तिथियां जहां एक तरफ आध्यात्म का आधार हैं तो वहीं दूसरी तरफ आयुर्वेदिक लाभ का भी मार्ग हैं. मार्गशीर्ष माह यानी अगहन के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली यह एकादशी तिथि हर दृष्टि से महत्पवूर्ण है.


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अंग्रेजी म हीने से यह साल की आखिरी एकादशी है तो हिंदी माह के अनुसार यह भगवान विष्णु की कृपा देने वाली है. यह एकादशी 25 दिसंबर यानी आज (शुक्रवार) है. 


चावल न खाएं इस दिन
मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2020) कहा जाता है. सनातन धर्म में मोक्षदा एकादशी का बहुत महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मोक्षदा एकादशी पर व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन चावल खाना अशुभ माना जाता है. 


श्रीकृष्ण ने दिया था गीता का ज्ञान
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के प्रति उठे अर्जुन के शोक भाव को दूर किया था.



भगवान कृष्ण ने गीता कहते हुए अपना विराट स्वरूप दिखाया था, जिससे अर्जुन वास्तविक मोक्ष और मुक्ति का तात्पर्य समझ सके थे. गीता का पाठ करने से भगवान विष्णु के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है. 


यह है मोक्षदा एकादशी की कथा
गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज करता था उनके राज में प्रजा अत्यंत सुखी थी. राजा ने सपने में देखा कि उनके पिता नर्क के कष्ट भोग रहे हैं. यह जानकर राजा दुखी हुए. उन्होंने ब्राह्मणों से पूछा तो ज्ञात हुआ कि उनके पिता के कर्मों की वजह से उनके साथ ऐसा हो रहा है.


व्रत के अनुष्ठान का मिला फल
ब्राह्मणों ने राजा को मोक्षदा एकादशी के व्रत के बारे में बताया, राजा ने इस व्रत का अनुष्ठान किया. जिसके कारण उनके पिता को कष्टों से मुक्ति मिली. नरक के कष्टों से मुक्ति पाकर राजा के पिता ने उन्हें आशीर्वाद दिया जिसके फलस्वरूप उनके राज्य में और अधिक समृद्धि आ गई. 


ऐसे करें पूजन
मोक्षदा एकादशी के दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को पवित्र कर भगवान को भी गंगाजल से स्नान करवाएं. इस दिन भगवान को चंदन, अक्षत और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाएं. भगवान विष्णु को तुलसी दल जरूर चढ़ाने चाहिए.



इस दिन भगवान विष्णु की पूजा तुलसी, गंगाजल, अक्षत, पुष्प, रोली-चंदन और धूप-दीप से की जानी चाहिए. साथ ही पुरुषसूक्त, श्रीमद्भागवत गीता और विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए. 


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