नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी (आप) को केवल 1.10 प्रतिशत मत हासिल हुए और वह अपना खाता तक नहीं खोल पाई. 


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इस खराब प्रदर्शन से राज्य में एक मजबूत तीसरी ताकत के रूप में उभरने की आप की उम्मीद धराशायी हो गई. भरतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस लगभग चार दशकों से राज्य में बारी-बारी से शासन करती रही है. 


हिमाचल प्रदेश में आप का नहीं खुला खाता


आप ने 12 नवंबर को हुए चुनाव से एक महीने पहले पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ रैलियों और रोड शो के माध्यम से अपने अभियान को धुआंधार तरीके से शुरू किया था, लेकिन पार्टी अंत तक गति को बनाए रखने में विफल रही, क्योंकि इसके शीर्ष नेतृत्व ने गुजरात पर ध्यान केंद्रित किया. किसी जन नेता की अनुपस्थिति ने कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित किया और सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी तथा मनीष सिसोदिया के परिसरों पर छापेमारी ने उम्मीदवारों के उत्साह को और भी कम कर दिया. 


आप ने खड़े किये थे 67 उम्मीदवार


पार्टी ने दरंग विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर 68 में से 67 सीट पर उम्मीदवार खड़े किए, लेकिन मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर चुप्पी बनाए रखी. इसके साथ ही राज्य में प्रचार करने के लिए कोई बड़ा नेता नहीं था. आप के प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत सिंह ठाकुर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, "हम पांवटा साहिब, इंदौरा और नालागढ़ में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन नतीजे अनुकूल नहीं रहे. हमने अभी शुरुआत की है और अभी लंबा रास्ता तय करना है. यह हमारा पहला चुनाव है, आखिरी चुनाव नहीं." उन्होंने कहा कि प्रदेश में संगठन को और मजबूत किया जाएगा.


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