नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में शुरुवार की शाम करीब साढ़े पांच बजे अमरनाथ की गुफा के पास बादल फट गया जिसमें समाचार लिखे जाने तक 12 लोगों की मौत की खबर है. भारी मात्रा में जानमाल के नुकसान की खबर आ चुकी थी. बताया गया है कि कई लोग लापता भी हो गए हैं. हालांकि कितने लोग लापता हुए हैं, इसकी संख्या सामने नहीं आई है. 


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देश में कई बार बादल फटने की वजह से ऐसे हादसे हो चुके हैं. भीषण तबाही मचाने वाली बादल फटने की घटनाओं में सबसे कुख्यात घटना उत्तराखंड त्रासदी है जिसमें अनगिनत लोगों की जान गई थी. 


जानिए कैसे फटते हैं बादल


मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल फटने का मतलब बादल के दो टुकड़े होना नहीं होता है. जब एक जगह पर बहुत ही कम समय में अचानक भयानक बारिश आ जाती है तो उसे ही बादल फटना कहते हैं. जिस जगह पर 100 मिलीमीटर यानी 4 इंच से ज्यादा बारिश हो जाए उसे बादल फटना कहते है. 


भौगोलिक मामलों के जानकार बताते हैं कि जब गर्म हवा के कारण बूंदे नीचे की बजाय ऊपर उठने लगती है और जब इनका आकार बढ़ जाता है तो फिर बादल फटने की ज्यादा संभावना रहती है. जहां बादल फटता है वहां 100 किलोमीटर घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है. दरअसल बादलों में पानी की बूंदें कई परतों में रहती हैं. जब उनमें आर्द्रता बढ़ जाती है तो ये बूंदे एक दूसरे से मिल जाती हैं और एक जलधारा बन जाती है जिसकी गति बहुत ज्यादा होती है भारी नुकसान का कारण बनती है. 


बूंदों का वजन उठा नहीं पाते बादल


अधिकतर बादल जमीन से 14000 फीट की ऊंचाई पर और पहाड़ों से टकराने की वजह से फटते है. बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी नमी वाले बादल एक जगह ठहर जाते हैं. वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं. बूंदों के भार से बादलों का घनत्‍व बढ़ जाता है जिससे बादल फट जाते हैं. 


ज्यादातर बादल फटने की घटनाएं पहाड़ी इलाकों में होती हैं क्योंकि पानी से भरे बादल पहाड़ों में फंस जाते हैं. इनकी ऊंचाई बादलों को आगे नहीं बढ़ने देती है. इससे अचानक ही एक साथ एक जगह तेज बारिश होने लगती हैं. पहाड़ों पर पानी न रुकने से यह तेजी से नीचे की तरफ आता है. यही अमरनाथ यात्रा के दौरान अमरनाथ गुफा में हुआ.  


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