नई दिल्ली: भाविना ने शनिवार को रोमांचक सेमीफाइनल मुकाबले में दुनिया की नंबर-3 मियाओ को 3-2 से हराने के लिए जोरदार वापसी की और स्वर्ण पदक के लिए अपनी दावेदारी और मजबूत कर ली. भाविना स्वर्ण पदक हासिल करने से अब महज एक कदम दूर रह गई हैं.


भाविना ने बताया अपनी जीत का 'राज'


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पैरालम्पिक खेलों (Paralympic Games) के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल ने शनिवार को कहा कि वह खुद को दिव्यांग नहीं मानती और तोक्यो खेलों में उनके प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है.


बारह महीने की उम्र में पोलियो की शिकार हुई भाविना ने कहा, ‘मैं खुद को दिव्यांग नहीं मानती. मुझे हमेशा से यकीन था कि मैं कुछ भी कर सकती हूं और मैंने साबित कर दिया कि हम किसी से कम नहीं है और पैरा टेबल टेनिस भी दूसरे खेलों से पीछे नहीं है.’


भारत की बेटी भाविना ने भरी हुंकार


उन्होंने कहा, ‘मैंने चीन के खिलाफ खेला है और यह हमेशा कहा जाता है कि चीन को हराना आसान नहीं होता है. मैंने आज साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है. हम कुछ भी कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि खेल के मानसिक पहलू पर फोकस करने से उन्हें मैच के दौरान मदद मिली.


भाविना ने बताया कि ‘मेरा दिन सुबह चार बजे शुरू हो जाता है और मैं ध्यान तथा योग के जरिये मानसिक एकाग्रता लाने का प्रयास करती हूं. मैचों के दौरान कई बार हम जल्दबाजी में गलतियां करते हैं और अंक गंवा देते हैं लेकिन मैने अपने विचारों पर नियंत्रण रखा.’



उन्होंने ये भी कहा, ‘मैं अपने कोचों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे तकनीक सिखाई. उनकी वजह से ही मैं यहां तक पहुंच सकी. भारतीय खेल प्राधिकरण, टॉप्स, पीसीआई, सरकार, ओजीक्यू, नेत्रहीन जन संघ, मेरे परिवार को भी मै धन्यवाद देती हूं.’


मियाओ को सेमीफाइनल में दी मात


पहला गेम 7-11 से हारने के बाद, गुजरात के अहमदाबाद की 34 वर्षीय सरकारी कर्मचारी ने रियो पैरालंपिक खेलों की रजत पदक विजेता मियाओ को 7-11, 11-7, 11-4, 9-11,11-8 से हराकर फाइनल में प्रवेश कर लिया. पहली बार पैरालंपिक में शामिल हुईं भाविना की इस जीत के बाद अब भारत को कम से कम एक रजत पदक मिलना तय हो गया है. हालांकि, भाविना की कोशिश देश को स्वर्ण दिलाने की होगी.


वल्र्ड नंबर 1 झोउ यिंग से होगा मुकाबला


रविवार को खेले जाने वाले फाइनल में, भाविना का सामना चीनी वल्र्ड नंबर 1 झोउ यिंग से होगा, जिससे वह ग्रुप स्टेज में टोक्यो पैरालंपिक में अपने पहले मैच में सीधे गेम में हार गई थीं.


यह भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी के लिए एक सनसनीखेज वापसी है, क्योंकि उन्होंने न केवल झोउ से हारने के बाद प्रारंभिक दौर से नॉकआउट चरण में जगह बनाई, बल्कि फाइनल में पहुंचने के लिए रियो 2016 के स्वर्ण पदक विजेता सर्बिया के बोरिसलावा पेरिक रैंकोविक और रजत पदक विजेता मियाओ सहित तीन मजबूत विरोधियों को हराया.


भाविना ने शुक्रवार को सेमीफाइनल में पहुंचने के साथ ही देश के लिए पदक सुनिश्चित कर लिया था और वह टेबल टेनिस पैरालंपिक में पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला पैरा एथलीट बन गई थीं.



भारत ने अबतक पैरालम्पिक में तीन स्पोटर्स में 12 पदक जीते हैं, जिनमें एथलेटिक्स (तीन स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य), पावरलिफ्टिंग (एक कांस्य) और तैराकी (एक स्वर्ण) शामिल है. हालांकि, टोक्यो पैरालम्पिक में देश को फिलहाल भाविना ने पदक दिलाया है. लेकिन इस पदक का रंग क्या होगा वो रविवार को होने वाले स्वर्ण पदक मुकाबले से पक्का होगा.


भाविना ने 2017 में बीजिंग में हुए अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस महासंघ एशियाई पैरा टेटे चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था.


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