CWG 2022: हार के बाद लवलीना का चौंकाने वाला बयान, जानें क्यों बोली राष्ट्रमंडल खेल ‘अहम नहीं’
Lovlina Borgohain at CWG 2022: बर्मिंघम में जारी कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत की ओलंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन के सफर का अंत अच्छे मोड़ पर नहीं हुआ है. भारतीय मुक्केबाज ने जीत के साथ आगाज करते हुए क्वार्टरफाइनल में आसानी से जगह बना ली थी लेकिन उन्हें इस मुकाबले में 2-3 के विभाजित निर्णय के चलते हार का सामना करना पड़ा.
Lovlina Borgohain at CWG 2022: बर्मिंघम में जारी कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत की ओलंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन के सफर का अंत अच्छे मोड़ पर नहीं हुआ है. भारतीय मुक्केबाज ने जीत के साथ आगाज करते हुए क्वार्टरफाइनल में आसानी से जगह बना ली थी लेकिन उन्हें इस मुकाबले में 2-3 के विभाजित निर्णय के चलते हार का सामना करना पड़ा. हालांकि भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन यहां क्वार्टरफाइनल में मिली हार से परेशान नहीं हैं और उनका कहना है कि राष्ट्रमंडल खेल उनके लिये उतने अहम नहीं है.
लवलीना ने बताया क्यों अहम नहीं हैं कॉमनवेल्थ गेम्स
लवलीना का मानना है कि राष्ट्रमंडल खेलों की सफलता से उन्हें 2024 में लगातार दूसरा ओलंपिक पदक जीतने के लक्ष्य में ज्यादा मदद नहीं मिलती क्योंकि वह बर्मिंघम में गैर ओलंपिक वर्ग में प्रतिस्पर्धा कर रही थीं. लवलीना पिछले साल टोक्यो में ओलंपिक पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय मुक्केबाज बनी थी. वह लाइट मिडिलवेट (66 किग्रा - 70 किग्रा) वर्ग में खेली थीं जो 2024 पेरिस ओलंपिक के कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है.
लवलीना ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, ‘‘इसलिये राष्ट्रमंडल खेल मेरे लिये इतने अहम नहीं थे क्योंकि मेरा मुख्य लक्ष्य पेरिस है और यह ओलंपिक वजन वर्ग भी नहीं था. यह मुझे ज्यादा मदद नहीं कर पाता. हां, राष्ट्रमंडल खेलों का कद काफी ऊंचा है, इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन मेरा लक्ष्य पेरिस ओलंपिक है और इसके लिये तैयारी करना ही मेरा मुख्य उद्देश्य है.’
गेम्स के पहले विवाद से नहीं पड़ा प्रभाव
गौरतलब है कि लवलीना 2018 गोल्ड कोस्ट के राष्ट्रमंडल खेलों में भी क्वार्टरफाइनल में बाहर हो गयी थी और एक बार फिर से बर्मिंघम खेलों में भी उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा है. वह राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों से पहले गलत कारण से सुर्खियों में आयीं जब उन्होंने अपनी निजी कोच संध्या गुरूंग के खेल गांव में प्रवेश नहीं मिलने पर ‘मानसिक उत्पीड़न’ का आरोप लगाया. उनके मुकाबले से पहले संध्या को दल में शामिल कर लिया गया.
उन्होंने कहा, ‘हर हार या जीत से अनुभव मिलता है. मैं इस हार को सकारात्मक रूप से ले रही हूं. मुझे खुद पर काम करना होगा. अंतिम लक्ष्य पेरिस है, जो भी मुश्किलें आये, मुझे उनसे पार पाना होगा. जीवन में कई उतार चढ़ाव आते हैं लेकिन हार नहीं माननी है. हां, मैं खेलों की तैयारियों से पहले थोड़ी परेशान थीं. लेकिन प्रतिस्पर्धा से पहले सब कुछ सही हो गया. मुझे मेरी कोच मिल गयीं. लेकिन मुझे लगता है कि इसने मुझे प्रभावित नहीं किया. मैं सोशल मीडिया से दूर रही. मेरे चारों ओर क्या चल रहा था, मुझे नहीं पता. अब भी मैंने खुद को इससे दूर रखा हुआ है.’
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