Mohammad Siraj: साल 2023 का विश्वकप भारत में खेला जाना है जिससे पहले भारतीय टीम की गेंदबाजी को दुरुस्त करना कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ के लिये सबसे बड़ी चुनौती है. भारतीय टीम के मुख्य गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के चोटिल होकर नहीं खेलने की वजह से टीम प्रबंधन इस समय नये गेंदबाजों की तलाश कर रहा है और उन युवा विकल्पों को तैयार कर रहा है जो जरूरत पड़ने पर बुमराह जैसी धार टीम को दे सकें. इसी को ध्यान में रखते हुए बीसीसीआई ने 20 खिलाड़ियों का चुनाव किया है जिनके इर्द-गिर्द ही वनडे विश्वकप की टीम तय की जानी है.


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सीमित ओवर्स पर ध्यान देने से हुआ फायदा


इन खिलाड़ियों की फेहरिस्त में एक नाम तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज का भी है जिन्होंने इस साल की शुरुआत बेहतरीन अंदाज में की है. मोहम्मद सिराज ने श्रीलंका के खिलाफ समाप्त हुई वनडे सीरीज के आखिरी मैच में 10 ओवर फेंक कर सिर्फ 32 रन दिये और 4 विकेट अपने नाम किये. इसके चलते श्रीलंकाई टीम महज 22 ओवर में 73 रन के स्कोर पर सिमट गई. मोहम्मद सिराज ने इस साल खेले गये 3 मैचों में 9 विकेट हासिल किये और इस दौरान उनकी औसत 10.32 और इकॉनमी 4 से कम की रही है.


विश्वकप से पहले मोहम्मद सिराज की शानदार गेंदबाजी भारतीय टीम के लिये अच्छी खबर की तरह है, हालांकि उनकी गेंदबाजी में यह बदलाव रातोंरात नहीं हुआ है. मोहम्मद सिराज के प्रदर्शन की बात करें तो पिछले साल उनका इंडियन प्रीमियर लीग का सीजन कुछ खास नहीं रहा था और  उन्होंने आरसीबी के लिये 15 मैचों में सिर्फ 9 ही विकेट हासिल किये थे. 


खराब आईपीएल के बाद डेल स्टेन से की थी बात


अपनी गेंदबाजी में आये बदलाव पर बात करते हुए मोहम्मद सिराज ने कहा कि पिछले साल इंडियन प्रीमियर लीग में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने की निराशा की वजह से उन्होंने सीमित ओवरों के क्रिकेट पर अधिक फोकस किया जिसका फायदा अब मिल रहा है.  सिराज ने अपनी गेंदबाजी में सुधार पर बात करते हुए कहा कि बदलाव इसलिये हुआ क्योंकि उन्होंने आईपीएल में नाकामी के बाद सफेद गेंद के क्रिकेट में लाइन और लेंथ पर फोकस किया और जब गेंद को स्वाभाविक इनस्विंग नहीं मिल रही थी तो उन्होंने गेंद को आउटस्विंग कराना शुरू किया.


उन्होंने कहा ,‘जब आईपीएल सत्र खराब गया तो मैने सफेद गेंद के क्रिकेट पर फोकस करना शुरू किया. मैने इस पर मेहनत की और मेरा आत्मविश्वास बढा. मैने अपने प्रदर्शन की चिंता करना छोड़ दिया. सिर्फ लाइन और लैंग्थ पर फोकस रखा. इनस्विंग मुझे स्वाभाविक तौर पर मिलती थी लेकिन जब यह मिलना बंद हो गई तो मैने आउटस्विंग पर काम किया. इसे प्रभावी होने में समय लगा लेकिन इससे मेरा आत्मविश्वास बढा. नेट पर जितनी ज्यादा गेंदबाजी की, उतना ही बेहतर होता गया. मैने आईपीएल में डेल स्टेन से भी इस पर बात की थी जिससे काफी मदद मिली.'


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