नई दिल्ली: जापान की राजधानी टोक्यो में शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर 32वें ओलंपिक खेलों की रंगारंग समारोह के साथ शुरुआत हो जाएगी. जहां दुनियाभर के 11 हजार से ज्यादा एथलीट  339 स्पर्धाओं में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने की पुरजोर कोशिश करेंगे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1904 में हुई थी पदक देने की शुरुआत
आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत ऐसे तो साल 1896 में हुई थी लेकिन इन खिलाड़ियों को पदक दिए जाने की शुरुआत अमेरिका के सेंट लुईस में साल 1904 में आयोजित तीसरे ओलंपिक खेलों में हुई थी. तब से लेकर आजतक इन पदकों को हासिल करने की कोशिश दुनिया का हर एथलीट करता है. उसकी हसरत एक बार ओलंपिक पोडियम में खड़े होकर देश के झंडे को लहराता देखने की होती है.


मोबाइल फोन रिसाइकल करके बनाए गए हैं मेडल
ओलंपिक में दिए जाने वाले मेडलों की अपनी अलग खासियत होती है. लेकिन टोक्यो ओलंपिक में विजयी होने वाले खिलाड़ियों को दिए जाने वाले पदकों की कुछ अलग खूबी है. ओलिंपिक इतिहास में पहली बार पदकों के निर्माण के लिए रिसाइकल्ड मेटल्स का इस्तेमाल किया गया है. इन मेटल्स को पुराने मोबाइल फोन से निकाला गया है. मेडल का निर्माण करने के लिए पुराने गैजेट्स से 32 किलो सोना, 3,500 किलो चांदी और 2,200 किलो तांबा निकाला गया. जो अब चमचमाते मेडल के रूप में दिखाई दे रहे हैं.


मेडल में होता है कितना सोना
टोक्यो ओलंपिक में दिए जाने वाले पदक 85 सेमी व्यास के हैं. जो कि 7.7 मिमी मोटे हैं. मेडल का सबसे मोटा भाग 12.1 मिमी का है. गोल्ड मेडल 556 ग्राम, सिल्वर मेडल 550 ग्राम और ब्रॉन्ज मेडल 450 ग्राम का है. स्वर्ण पदक पूरी तरह सोने का नहीं होता है, चांदी के बने पदक पर 6 ग्राम सोने की परत चढ़ी है. वहीं रजत पदक चांदी का बना है. कांस्य पदक 450 ग्राम का है जो कि 95 प्रतिशत कॉपर और 5 प्रतिशत जिंक से मिलकर बना है. इसकी कीमत लगभग 3 हजार रुपये है. लेकिन दुनिया भर के खिलाड़ियों से जोर आजमाइश कर पदकों पर कब्जा करने वाले खिलाड़ियों के लिए ये पदक अनमोल होते हैं.


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.