डेब्यू मैच में कमाल करने वाले सरफराज ने पिता को लेकर कही दिल छूने वाली बात, जड़ी फिफ्टी
भारत के 311वें नंबर के टेस्ट क्रिकेटर सरफराज ने 62 रन की तेजतर्रार पारी खेली. नौशाद गुरुवार को काफी खुश थे. उन्होंने अपने बेटे को खेलते हुए देखने के लिए राजकोट आने की योजना नहीं बनाई थी और मैच की पूर्व संध्या पर ही यहां पहुंचे.
नई दिल्लीः छह साल की उम्र में क्रिकेट का सफर शुरू करने वाले सरफराज खान का हमेशा से सपना अपने पिता के सामने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना था. दो दशक बाद मुंबई के इस बल्लेबाज का सपना गुरुवार को साकार हुआ जब उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में पदार्पण का मौका मिला और इस दौरान स्टेडियम में मौजूद उनके पिता नौशाद अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए.
जानें क्या बोले सरफराज
सरफराज ने पदार्पण करते हुए अर्धशतक जड़ा. वह बड़ी पारी खेलने की राह पर थे लेकिन नाबाद शतक जड़ने वाले रविंद्र जडेजा के साथ गलतफहमी का शिकार होकर गेंदबाजी छोर पर रन आउट हो गए. यह 26 वर्षीय बल्लेबाज हालांकि पदार्पण करके काफी खुश है और उनकी कोई शिकायत नहीं है. भारत के पहले दिन पांच विकेट पर 326 रन बनाने के बाद सरफराज ने यहां मीडिया से कहा, ‘‘पहली बार मैदान पर आना और अपने पिता के सामने कैप (भारतीय टीम की) लेना. मैं छह साल का था जब उन्होंने क्रिकेट की मेरी ट्रेनिंग शुरू की. यह मेरा सपना था कि उनके सामने भारतीय टीम के लिए खेलूं.’’
62 रनों की खेली पारी
भारत के 311वें नंबर के टेस्ट क्रिकेटर सरफराज ने 62 रन की तेजतर्रार पारी खेली. नौशाद गुरुवार को काफी खुश थे. उन्होंने अपने बेटे को खेलते हुए देखने के लिए राजकोट आने की योजना नहीं बनाई थी और मैच की पूर्व संध्या पर ही यहां पहुंचे. इस दौरान खान परिवार के आंसू बह रहे थे और वे खुशी में एक दूसरे को गले लगा रहे थे. सरफराज की पत्नी भी इस दौरान मौजूद थी. सरफराज ने कहा, ‘‘मैं (ड्रेसिंग रूम में) लगभग चार घंटे तक पैड बांधकर बैठा रहा. मैं सोच रहा था कि मैंने जीवन में इतना धैर्य रखा और कुछ और देर धैर्य रखने में कोई समस्या नहीं है.’’
बताया कैसा रहा डेब्यू मैच
उन्होंने कहा, ‘‘क्रीज पर उतरने के बाद मैं शुरुआती कुछ गेंदों पर नर्वस था लेकिन मैंने इतना अधिक अभ्यास और कड़ी मेहनत की है कि सब कुछ सही रहा.’’ सरफराज ने कहा कि उनके लिए अपने पिता के सामने भारत के लिए खेलने से अधिक रन और प्रदर्शन मायने नहीं रखते. उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिए खेलना मेरे पिता सपना था लेकिन दुर्भाग्य से किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो पाया. तब घर से उतना समर्थन नहीं मिला. उन्होंने मेरे ऊपर कड़ी मेहनत की और अब मेरे भाई के साथ ऐसा ही कर रहे हैं. यह मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है.’
इस बल्लेबाज ने कहा, रन और प्रदर्शन मेरे दिमाग में उतना नहीं था जितना मैं अपने पिता के सामने भारत के लिए खेलने को लेकर खुश था. उन्होंने कहा, वह (राजकोट) आने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन कुछ लोगों ने जोर दिया कि उन्हें जाना चाहिए. बेशक उन्हें आना चाहिए था क्योंकि उन्होंने इसी दिन के लिए इतनी कड़ी मेहनत की थी.
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