पूर्व निर्धारित कार्यकम के अनुसार होने चाहिए IOA के चुनाव, उच्चतम न्यायालय का बड़ा फैसला
उच्चतम न्यायालय का मानना है कि भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के पदाधिकारियों का चुनाव पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होना चाहिए और वह सात दिसंबर को खेल संस्था से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई करेगा, जिसमें संविधान के मसौदे में संशोधन की मांग भी शामिल है.
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय का मानना है कि भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के पदाधिकारियों का चुनाव पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होना चाहिए और वह सात दिसंबर को खेल संस्था से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई करेगा, जिसमें संविधान के मसौदे में संशोधन की मांग भी शामिल है. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली तथा न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला की पीठ ने इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि संविधान के मसौदे में तीन मामूली संशोधन पर फैसला चुनाव से पहले किया जाएगा.
'तय कार्यक्रम के अनुसार होना चाहिए चुनाव'
उच्चतम न्यायालय के इस फैसले पर एक वकील ने कहा, ‘IOA के पदाधिकारियों का चुनाव 10 दिसंबर से शुरू होने वाला है. उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार संविधान में तीन मामूली संशोधन किए गए हैं. संविधान में संशोधन से संबंधित मुद्दे को सुनने के लिए सुनवाई की जरूरत है.’
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने याचिका का विरोध किया. विरोध पर पीठ ने कहा, ‘हम इस पर सात दिसंबर को सुनवाई करेंगे. चुनाव तय कार्यक्रम के अनुसार होना चाहिए.’’
'10 दिसंबर को होगा IOA का चुनाव'
शीर्ष अदालत ने IOA के चुनाव 10 दिसंबर को कराने को मंजूरी दी. इससे पहले मंगलवार को न्यायालय ने निर्देश दिया था कि नया संविधान अपनाने और IOA की कार्यकारी समिति के चुनाव के लिए मतदान को लेकर उसके 10 अक्टूबर और तीन नवंबर के आदेशों का निष्ठापूर्वक पालन किया जाए. विधि अधिकारी ने कहा था कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश द्वारा तैयार IOA संविधान को खेल संस्था की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में अपनाया गया है और इसमें कोई भी संशोधन केवल अदालत की स्पष्ट अनुमति से ही किया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने 10 दिसंबर को होने वाले IOA के कार्यकारी पैनल के चुनाव के लिए तीन नवंबर को न्यायमूर्ति एल एन राव समिति द्वारा प्रस्तुत एक नई समयरेखा को मंजूरी दी थी.
शीर्ष अदालत ने IOA के सदस्यों के बीच संशोधित संविधान के मसौदे को बांटने की भी अनुमति दी थी ताकि इसे 10 नवंबर को आम सभा की बैठक में अपनाया जा सके. उच्चतम न्यायालय ने गौर किया कि न्यायाधीश ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी), IOA और राज्य संघों सहित सभी हितधारकों के साथ बातचीत की थी. भारत में ओलंपिक के भविष्य के लिए एक निष्पक्ष और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए 22 सितंबर को शीर्ष अदालत ने IOA संविधान में संशोधन करने और इसकी मतदाता सूची तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति राव को नियुक्त किया था. ये सब आईओसी के आठ सितंबर को IOA को अपने प्रशासन से जुड़े मुद्दों को हल करने और दिसंबर तक चुनाव कराने के लिए अंतिम चेतावनी जारी करने के बाद हुआ जिसमें विफल रहने पर विश्व खेल संस्था भारत पर प्रतिबंध लगा देगी.
नरिंदर बत्रा ने IOA अध्यक्ष पद से दिया था इस्तीफा
स्विट्जरलैंड के लुसाने में हुई बैठक में आईओसी के कार्यकारी बोर्ड ने भी नरिंदर बत्रा को भारतीय ओलंपिक संघ के प्रमुख के पद से हटाए जाने के बाद किसी भी कार्यवाहक/अंतरिम अध्यक्ष को मान्यता नहीं देने का फैसला किया था और कहा था कि वह मुख्य संपर्क बिंदू के रूप में महासचिव राजीव मेहता से बात करेंगे. इस साल मई में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा हॉकी इंडिया में आजीवन सदस्य के पद पर रोक लगाने के बाद बत्रा को IOA प्रमुख के पद से हटा दिया गया था. इसी पद के आधार पर उन्होंने 2017 में देश में शीर्ष खेल संस्था का चुनाव लड़ा और जीता था. बाद में बत्रा ने आधिकारिक रूप से IOA अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. आईओसी ने पहले भी जल्द से जल्द अपना चुनाव कराने में विफल रहने पर IOA को निलंबित करने की धमकी दी थी. IOA के चुनाव पिछले साल दिसंबर में होने थे लेकिन चुनाव प्रक्रिया में संशोधन के कारण नहीं हो सके.
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