नई दिल्ली: साल 1972 में जर्मनी के म्यूनिख शहर में आयोजित ओलंपिक को खेलों के इतिहास के सबसे स्याह पन्ने के रूप में याद किया जाता है. जहां खेल गांव में फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने हमला करके 11 इजरायली एथलीट्स को मौत के घाट उतार दिया था.


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उस एक भयावह घटना ने ओलंपिक खेलों और खेल गांव की सुरक्षा की तस्वीर हमेशा के लिए बदल दी. उस भयावह रात को कोई नहीं याद करना चाहता लेकिन चार साल के अंतराल में ओलंपिक खेलों का आयोजन होता है तो अनायास ही वो घटना लोगों के जेहन में उभर आती है.



23 जुलाई को जापान की राजधानी टोक्यो में शुरू हुए 32वें ओलंपिक खेलों की ओपनिंग सेरेमनी के दौरान एक ऐसा पल आया जब हर तरफ खामोशी छा गई और 1972 में आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए इजरायली खिलाड़ियों को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई.


उस आतंकी घटना में मारे गए शहीदों को ओलंपिक खेलों के उद्धाटन समारोह में मौन रखकर याद रखने की मांग उनके परिजन करते रहे थे लेकिन उनकी मांग शुक्रवार को पूरी हुई.


इजरायली खिलाड़ियों की याद में अंधेरे में डूबा पूरा स्टेडियम
टोक्यो ओलंपिक के उद्धाटन समारोह के दौरान एनाउंसर ने कहा, हम ओलंपिक परिवार, उन  ओलंपियन्स और सदस्यों को भी याद करते हैं जिन्हें बेहद दुखद तरीके से हमने खो दिया. खासकर उन लोगों को हम याद करना चाहते हैं जिन्हें ओलंपिक खेलों के दौरान जिन्होंने अपनी जान गंवाई.'


एक समूह की आज भी हमारी यादों में आज भी हैं. जिन्होंने अपनी जान ओलंपिक खेलों के दौरान इजरायल के जिन खिलाड़ियों ने अपनी जान गंवाई थी उनकी याद में खड़े हो जाएं.' एनाउंसर के ऐसा कहने के बाद स्टेडियम में अंधेरा छा गया और नीली रोशनी वहां के कई हिस्सों में फैल गई.


कब हुई थी म्यूनिख आतंकी घटना
5 सितंबर, 1972 को म्यूनिख ओलंपिक खेलों के दौरान फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने ओलंपिक खेल गांव में घुसकर इजरायली एथलीट्स को बंधक बना लिया था और 11 एथलीट को मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना में 5 फिलिस्तीनी और एक जर्मन पुलिस कर्मी की भी मौत हुई थी.


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आईओसी ने लंबे समय इस मांग को किया नजरअंदाज
उस घटना में शहीद हुए लोगों के परिजन सालों से ओलंपिक समिति से ओपनिंग सेरेमनी के दौरान उन्हें याद किए जाने की गुहार लगाते रहे लेकिन आईओसी लंबे समय तक उनकी मांग को नजर अंदाज करता रहा.


हालांकि साल 2016 में रियो ओलंपिक खेलों के दौरान ओपनिंग सेरेमनी में भले ही इजरायली खिलाड़ियों को याद नहीं किया गया लेकिन खेल गांव में के एक हिस्से को जान गंवाने वाले खिलाड़ियों की याद में समर्पित किया गया था.


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