नई दिल्ली: टेनिस जगत में सबसे ज्यादा बार ग्रैंडस्लैम जीतने वाले राफेल नडाल के फैन्स को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है. 22 ग्रैंडस्लैम जीतने वाले नडाल ने गुरुवार को पेट की मांसपेशियों में चोट की शिकायत की जिसके चलते उन्हें सेमीफाइनल से नाम वापस लेना पड़ा. राफेल नडाल को किर्गियोस के साथ सेमीफाइनल मुकाबला खेलना था. नडाल इस साल 2 ग्रैंडस्लैम खिताब जीत चुके हैं और विंबलडन जीतकर उनके पास इस संख्या को बढ़ाने का मौका था. हालांकि चोट के चलते ऐसा हो नहीं सका.


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यह पहली बार नहीं है जब नडाल को चोट के चलते ग्रैंडस्लैम से हाथ धोना पड़ा है. वैसे तो हर खिलाड़ी को चोट के चलते कुछ अहम खिताब  का नुकसान उठाना पड़ता है लेकिन नडाल टेनिस जगत में सबसे ज्यादा बार चोटों के चलते ग्रैंडस्लैम से दूर होने वाले खिलाड़ी हैं.


11 बार चोट के चलते ग्रैंडस्लैम से धोया हाथ 


साल 2003 में डेब्यू करने वाले नडाल ने अब तक 11 ग्रैंडस्लैम इवेंट से चोट के चलते बाहर हो चुके हैं, जबकि यह 5वां मौका था जब वो स्लैम के बीच अपना नाम वापस लेने को मजबूर हुए. नडाल ने अपने करियर में केवल दूसरी बार किसी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट में विरोधी खिलाड़ी का वॉकओवर दिया है. इससे पहले 2016 के फ्रेंच ओपन में कलाई की चोट के कारण तीसरे दौर से पहले अपना नाम वापस ले लिया था.


वह 2010 और 2018 के ऑस्ट्रेलियन ओपन क्वार्टर फाइनल्स (घुटने और पैर की चोट) और 2018 के यूएस ओपन सेमीफाइनल (घुटने की चोट) से चोट के चलते ही बाहर हुए थे. नडाल के करियर की सबसे पहली चोट साल 2003 में आई थी जब वो ट्रेनिंग के दौरान गिर गये थे और अपनी कोहनी चोटिल कर बैठे थे. इसके चलते वो फ्रेंच ओपन का हिस्सा नहीं बन सके थे.


करियर में इन चोटों ने डाला सबसे ज्यादा खलल


नडाल के करियर की बात करें तो वो घुटने और पैर की चोट से भरा पड़ा है, तो वहीं पर हैमस्ट्रिंग में खिंचाव, कलाई की चोट और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव ने भी लगातार परेशान किया है. साल 2011 में जब एक दुर्घटना के दौरान उन्होंने अपनी उंगलियां जला ली थी तो उन्होंने पट्टी बांधकर खेलना जारी रखा था लेकिन वह चोट के साथ इसे आगे जारी नहीं रख सके. साल 2014 में एपेंडेक्साइटिस के चलते वो पूरी सीजन किसी इवेंट का हिस्सा नहीं बन सके.


गौरतलब है कि यहां पर हैरान करने वाली बात यह रही है कि इतने साले सीजन और मैच मिस करने के बावजूद नडाल ने अपने करियर के दौरान 1063 मैच और 92 खिताब जीतने का काम किया है. साल 2015-2016 के ग्रैंडस्लैम सेमीफाइनल में जब वो खिताब जीतने में नाकाम रहे थे तो कई लोगों को लगा था कि उनका करियर खत्म हो गया है लेकिन तब से लेकर अब तक वो 8 बार खिताब जीत चुके हैं.


फाइनल में पहुंचे किर्गियोस


नडाल के नाम वापस लेने के चलते उनके प्रतिद्वंद्वी निक किर्गियोस फाइनल में पहुंच गये है. यह 1931 के बाद पहला मौका है जब किसी खिलाड़ी ने सेमीफाइनल या फाइनल से पहले सबसे पुराने ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट से नाम वापस लिया है.  नडाल के इस फैसले से ऑस्ट्रेलिया के 27 साल के  किर्गियोस को पहली बार ग्रैंडस्लैम फाइनल खेलने का मौका मिलेगा। विश्व रैंकिंग में 40वें स्थान पर काबिज किर्गियोस 2003 में मार्क फिलीपुसिस के बाद विंबलडन फाइनल पहुंचने वाले पहले गैर वरीयता प्राप्त पुरुष खिलाड़ी है. फिलीपुसिस को दिग्गज रोजर फेडरर ने हराया था. 


नडाल का इस साल ग्रैंडस्लैम में शानदार रिकॉर्ड रहा है. उन्होंने 19 मैच जीते है जबकि एक में भी हार का सामना नहीं करना पड़ा. वह इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई ओपन और फ्रेंच ओपन के विजेता बने. 


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