नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है. वहीं चीन के बाद इटली और अमेरिका में सबसे ज्यादा इसकी मार पड़ी. अमेरिका में आए दिन हजारों की संख्या में कोरोना से लोगों की मौत हो रही है लेकिन इस बीच अमेरिका ने देश में फंसे भारतीयों सहित अन्य देशों के छात्रों को रोजगार मुहैया करवा रही है.


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अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे भारत समेत कई देशों के फंसे छात्र कैंपस के बाहर काम करने के लिये मंजूरी को लेकर आवेदन कर सकते हैं. अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) की इस घोषणा से उन लाखों अंतरराष्ट्रीय छात्रों को राहत मिलेगी जो पिछले कुछ सप्ताह से कठिन हालात का सामना कर रहे हैं.


आर्थिक मदद के लिए दी जा रही है जॉब


यूएससीआईएस ने कहा है कि अगर कोई छात्र इन हालात के चलते आर्थिक कठिनाइयों का सामाना कर रहे हैं, जो उनके नियंत्रण में नहीं है, वे छात्र कैंपस के बाहर काम करने की मंजूरी को लेकर आग्रह पत्र दे सकते हैं. अप्रत्यशित मामलों में वित्तीय सहायता या कैंपस के भीतर काम नहीं मिलना, मुद्रा की विनिमय दर में उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव और ट्यूशन या रहन-सहन की लागत में जरूरत से ज्यादा वृद्धि आदि शामिल हैं.


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यूएससीआईएस ने समर्थन के स्रोत की वित्तीय स्थिति में अचानक से बदलाव के साथ चिकित्सा बिल के भी अप्रत्याशित हालात की श्रेणी में रखा है.अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए 13 मार्च को सोशल डिस्टेंसिंग की घोषणा की गई थी. इसके तहत शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए थे. इसके कारण भारत समेत विभिन्न देशों के अंतरराष्ट्रीय छात्र फंसे हुए हैं और कई मामलों में वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं.


छात्रों से शेष शैक्षणिक सत्र के लिये छात्रावास खाली करने को कहा गया है. शैक्षणिक सत्र अगस्त में शुरू होने की संभावना है. एक अनुमान के अनुसार अमेरिका में 2,50,000 भारतीय छात्र हैं. उनमें से कई 22 मार्च से भारत के हवाईअड्डों को बंद करने से पहले स्वदेश लौट आये. हालांकि अभी सैकड़ों छात्र फंसे हुए हैं और उनमें से कइयों के पास पैसे न के बराबर हैं.