कर्मचारी के अलावा उसके परिवार वालों को भी मिलती है पेंशन, जानें क्या है EPFO का ये नियम
7th Pay Commission: सरकार ने 18 महीने के पेंडिंग DA Arrear को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है. 18 महीने के डीए एरियर यानि महंगाई भत्ते का बकाया को लेकर सरकार ने राज्यसभा में लिखित जानकारी दी है. वित्त मंत्रालय की तरफ से राज्यसभा में दी गई इस जानकारी के साथ सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं. अब 18 महीने का डीए बकाया (DA Arrears) नहीं मिलेगा.
नई दिल्ली: नौकरीपेशा कर्मचारियों के वेतन का एक हिस्सा उनके PF के तौर पर काटा जाता है. उनकी बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसदी अमाउंट उनके EPF अकाउंट में जमा किया जाता है. इतना ही कंट्रीब्यूशन नौकरी देने वाली संस्था की तरफ से भी किया जाता है. एम्प्लॉयर द्वारा कंट्रीब्यूट किए जाने वाले 12 प्रतिशत में से 8.33 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी के पेंशन अकाउंट में जाता है और 3.67 प्रतिशत हर महीने ईपीएफ में जाता है.
रिटायरमेंट के बाद मिलती है पेंशन
पेंशन अकाउंट में साल दर साल जमा यही पैसा इकट्ठा होकर रिटायरमेंट के बाद पेंशन के तौर पर दिया जाता है. लेकिन अगर किसी कारणवश EPF मेंबर की मौत हो जाती है तो इस पेंशन का लाभ उसके परिवार को दिया जाता है. इस कारण इसे फैमिली पेंशन भी कहा जाता है. जानिए कर्मचारी की मौत की स्थिति में परिवार के कौन से सदस्य पेंशन के अधिकारी होते हैं.
पत्नी और बच्चों को भी पेंशन देती है EPFO
EPFO के नियम के मुताबिक अगर कर्मचारी 10 साल की नौकरी पूरी कर चुका है, तो वो पेंशन पाने का हकदार हो जाता है. पेंशन अधिकारी बनने के बाद अगर उसकी मौत हो जाती है तो ईपीएस के तहत मिलने वाली पेंशन का लाभ मृतक कर्मचारी के जीवनसाथी (पति/पत्नी) को और अधिकतम दो बच्चों को मिलता है. ऐसे में पत्नी को पेंशन का 50 फीसदी हिस्सा मिलता है और अगर बच्चों की आयु 25 साल से कम है तो उन्हें 25-25 फीसदी हिस्सा दिया जाता है. बच्चों में सगे, कानूनी रूप से गोद लिए बच्चे शामिल हैं. अगर ईपीएफओ मेंबर की मौत के बाद उसके जीवनसाथी की भी मौत हो जाए या वो दूसरी शादी कर ले तो बच्चों को पेंशन का 75 फीसदी हिस्सा 25 साल की आयु होने तक मिलता है. अगर संतान शारीरिक रूप से अक्षम है तो उसे 75 फीसदी पेंशन ताउम्र दी जाती है.
माता पिता को दी जाती है पेंशन
अगर कर्मचारी अविवाहित है तो पेंशन उसके माता-पिता को ताउम्र दी जाएगी. अगर कर्मचारी के पिता या मां में से भी किसी की मौत हो गई है, तो दोनों में से जो भी बचा है, वो पेंशन प्राप्त करने का हकदार होगा. अगर परिवार में कोई नहीं है, तो जो भी नॉमिनी होगा, उसे पेंशन का लाभ दिया जाता है. अगर ईपीएफओ मेंबर की मौत के बाद उसके जीवनसाथी की भी मौत हो जाए या वो दूसरी शादी कर ले तो बच्चों को पेंशन का 75 फीसदी हिस्सा 25 साल की आयु होने तक मिलता है. अगर संतान शारीरिक रूप से अक्षम है तो उसे 75 फीसदी पेंशन ताउम्र दी जाती है.
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