कंप्यूटर साइंस के छात्रों को मिल रहा औसत इतने लाख का पैकज, IIT का विकल्प छोड़ने को तैयार युवा
आईआईटी मद्रास व देश के अन्य आईआईटी संस्थानों में कंप्यूटर साइंस के छात्रों को 40 लाख प्रति वर्ष तक का पैकेज ऑफर किया गया. जेके लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय जैसे निजी संस्थान के छात्रों को 7 लाख और कंप्यूटर विज्ञान स्नातकों के लिए 16 रुपए सालाना तक के ऑफर दिए गए है. बिट्स पिलानी परिसर ने 2023 बैच के प्लेसमेंट ड्राइव के दौरान औसत वेतन में 32.62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
नई दिल्ली: जेईई एडवांस में टॉप करने वाले ज्यादातर छात्र कंप्यूटर साइंस और इससे संबंधित इंजीनियरिंग कोर्स में ही दाखिला ले रहे हैं. जॉइंट सीट एलोकेशन ऑथारिटी द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के अनुसार जेईई एडवांस में टॉप 100 रैंक लाने वाले में से 97 छात्रों ने कंप्यूटर साइंस के कोर्स को चुना है. 'कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग' का क्रेज इतना ज्यादा है कि कई छात्र इसकी वजह से आईआईटी तक में दाखिला नहीं ले रहे हैं.
क्यों छोड़ रहे आईआईटी का विकल्प
दरअसल, आईआईटी का विकल्प छोड़ने वाले इन छात्रों को जेईई एडवांस रैंक के आधार पर आईआईटी मे कंप्यूटर साइंस के कोर्सेज में दाखिला नहीं मिल सकता. ऐसे में ये छात्र आईआईटी को छोड़कर ट्रिपल आईटी, एनआईटी और बीआईटीएस जैसे अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन ले लेते हैं. इसका मूल कारण यही है कि इन संस्थानों में वे कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में दाखिला पाने में सक्षम है.
मोटी सैलरी है वजह
जो छात्र कोर इंजीनियरिंग ब्रांच में रजिस्टर्ड हैं, वे भी आईटी नौकरी लेने की चाहत रखते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि आईटी सेक्टर में शुरूआत से ही ज्यादा वेतन मिलता है.
कितने लाख का पैकज
यदि कंप्यूटर साइंस करने वाले फ्रैश इंजीनियरियर्स के वेतन की बात की जाए तो आईआईटी मद्रास व देश के अन्य आईआईटी संस्थानों में कंप्यूटर साइंस के छात्रों को 40 लाख प्रति वर्ष तक का पैकेज ऑफर किया गया. कई संस्थानों ने इस इंजीनियरिंग के लिए इंटर्नशिप ऑफर में 32 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की है.
लुभाने वाले आंकड़े
-बिट्स पिलानी परिसर ने 2023 बैच के प्लेसमेंट ड्राइव के दौरान औसत वेतन में 32.62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
-2023 बैच के लिए प्लेसमेंट के दौरान पेश किया गया औसत पैकेज 30 रुपए सालाना तक है.
-जेके लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय जैसे निजी संस्थान के छात्रों को 7 लाख और कंप्यूटर विज्ञान स्नातकों के लिए 16 रुपए सालाना तक के ऑफर दिए गए है.
शिक्षाविदों की राय अलग है
हालांकि शिक्षाविद इस ट्रेंड को गलत मानते हैं, उनका कहना है कि दुर्भाग्य की बात यह है कि यह बढ़ता हुआ ट्रेंड कोर इंजीनियरिंग भूमिकाओं की महत्ता को कम कर रहा है. बहुत बड़ी संख्या में छात्र और अभिभावक इस संबंध में बिना-सोचे समझे निर्णय ले रहे हैं. निजी कॉलेज भी बिना सोचे-समझे हजारों छात्रों को 'कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग' के विभिन्न वैरियंट में एडमिशन दे रहे हैं. इस संबंध में कानून बनाने वालों और रेगुलेटरी बॉडी (नियामक निकायों) के साथ-साथ इंडस्ट्री की भूमिका भी बहुत ही असंतोषजनक है.
जे के लक्ष्मीपत यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रोफेसर संजय गोयल के मुताबिक, दुनिया बहुत ज्यादा इंजीनियरिंग समस्याओं का सामना कर रही है. जलवायु संकट, स्वच्छ पानी, खाद्य उत्पादन, ऊर्जा, यातायात, हेल्थकेयर, लॉजिस्टिक्स, मैटेरियल्स आदि की समस्याओं से दुनिया जूझ रही है. समस्याओं का समाधान सिविल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, केमिकल, मैटेरियल साइंस जैसे कोर इंजीनियरिंग सेक्टर से ही संभव है.
कई हैं संभावनाएं
ग्लोबल कंस्ट्रकशन (वैश्विक निर्माण) के साथ-साथ केमिकल के बाजार में 2030 तक दोगुना उन्नति होने की संभावना है.
वैश्विक ऊर्जा मांग इस अवधि के दौरान 40 प्रतिशत की वृद्धि होने की सम्भावना है.
इंडस्ट्री 4.0 को फिजिकल और बायोलॉजिकल दुनिया के साथ डिजिटल चीजों की भी जरुरत है.
प्रोफेसर गोयल ने बताया कि कोर इंजीनियरिंग सेक्टर में नौकरियों के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए शैक्षिक संस्थानों को नए स्किल सिखाने चाहिए. इसके अलावा अपने कोर्स को भी समय के अनुसार अपडेट करने की जरुरत है. कोर इंजीनियरिंग इंडस्ट्री के लिए ये चीजें बहुत जरूरी होती है. साथ ही कोर इंजीनियरिंग सेक्टर की कंपनियों को भी अपने शुरूआती वेतन ढांचे को अपडेट करके ज्यादा वेतन की पेशकश करनी चाहिए.
ये भी पढे़ं- ज्ञानवापी मस्जिद केस: सीएम योगी को मिले पावर ऑफ अटॉर्नी, जानें क्या है विश्व वैदिक सनातन संघ की मांग
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.