दिल्ली में पराली वाला प्रदूषण कम होगा, आज से खेतों में इस जैव-अपघटक का होगा छिड़काव
दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषकों का योगदान पिछले साल सितंबर में सबसे अधिक 48 प्रतिशत दर्ज किया गया था. इस जैव-अपघटक घोल के छिड़काव पर मात्र 30 रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है.
नई दिल्ली: दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए दिल्ली सरकार आज यानी मंगलवार से खेतों में पूसा के जैव-अपघटक घोल का छिड़काव शुरू करेगी. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने यह जानकारी दी है.
क्या है पूसा बायो डीकंपोजर
‘पूसा बायो डीकंपोजर’ एक सूक्ष्मजैविक घोल है, जो धान की पराली को 15-20 दिनों में खाद में बदल सकता है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा इस घोल को तैयार किया गया है.
सिर्फ इतना खर्ज
इस जैव-अपघटक घोल के छिड़काव पर मात्र 30 रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है.
क्या है योजना
इस साल राजधानी में 5,000 एकड़ रकबे में इस घोल का छिड़काव किया जाएगा, जिसमें बासमती और गैर-बासमती धान की खेती की गई है. पिछले साल दिल्ली में 844 किसानों की 4,300 एकड़ जमीन पर इसका छिड़काव किया गया था. 2020 में 1,935 एकड़ जमीन पर 310 किसानों ने इसका इस्तेमाल किया था.
किसानों को किया जाएगा जागरूक
दिल्ली सरकार ने जैव-अपघटक घोल की प्रभावशीलता को लेकर जागरूकता फैलाने और इसके इस्तेमाल को इच्छुक किसानों का पंजीकरण करने के लिए 21 दलों का गठन किया है.
पराली से कितना प्रदूषण
आईएआरआई के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में पिछले साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच पराली जलाने के 71,304 मामले सामने आए थे. वहीं 2020 में इसी अवधि में 83,002 मामले सामने आए थे. दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषकों का योगदान पिछले साल सितंबर में सबसे अधिक 48 प्रतिशत दर्ज किया गया था.
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