नई दिल्ली: भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक ने अपने शोध में पाया है कि डायबिटीजसे बचकर या कम से कम इसे अच्छी तरह से कंट्रोल में रखकर अल्जाइमर्स में डिमेंशिया के खतरे को कम करना संभव है. अमेरिका स्थित 'टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी' के एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र कुमार ने 'अमेरिकन सोसाइटी फॉर बायोकैमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी' मैग्जीन में पब्लिश स्टडी का नेतृत्व किया और पाया कि मधुमेह और अल्जाइमर्स बीमारियों का गहरा संबंध है. 


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विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ रहा डायबिटीज 
प्रोफेसर नरेंद्र कुमार ने कहा, ' डायबिटीज के लिए निवारक या सुधारात्मक उपाय करके, हम अल्जाइमर्स में डिमेंशिया के लक्षणों को बढ़ने से रोक सकते हैं या कम से कम काफी धीमा कर सकते हैं.' उन्होंने आगे कहा, ' डायबिटीज और अल्जाइमर्स विश्व स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य चिंताओं में से दो हैं.  डायबिटीज शरीर की भोजन को ऊर्जा में बदलने की क्षमता में परिवर्तन लाता है और अनुमानतः हर 10 में से एक अमेरिकी वयस्क को प्रभावित करता है.स्टडी के अनुसार अल्जाइमर्स अमेरिका में मौतों के शीर्ष 10 कारणों में से एक है. 


शोध में हुआ ये खुलासा 
शोधकर्ताओं ने जानने की कोशिश की कि डायबिटीज वाले लोगों में खान-पान अल्जाइमर्स के विकास को कैसे प्रभावित कर सकता है. उन्होंने पाया कि हाई फैट वाले फूड आंत में जैक3 नाम का एक विशिष्ट प्रोटीन की अभिव्यक्ति को कम कर देता है. इस प्रोटीन के बिना चूहों में आंत से लिवर और फिर ब्रेन तक सूजन की एक श्रृंखला देखी गई. इसके परिणामस्वरूप चूहों में संज्ञानात्मक हानि के साथ-साथ दिमाग में अल्जाइमर्स जैसे लक्षण दिखे. 


लिवर निभाता है महत्वपूर्ण भूमिका 
शोधकर्ताओं का मानना है कि आंत से दिमाग तक के रास्ते में लिवर की काफी भूमिका होती है. इसको लेकर  प्रोफेसर नरेंद्र कुमार ने कहा, 'हम जो कुछ भी खाते हैं लिवर उसका मेटाबॉलिज्म करता है. हमें लगता है कि आंत से दिमाग तक का रास्ता लिवर से होकर गुजरता है.' 


Disclaimer: यहां दी गई जानकारी रिसर्च  पर आधारित है, लेकिन Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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