EPFO News: अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते हुए EPFO ​​पेंशन स्कीम में योगदान करते हैं तो आपका भविष्य खुशहाल होगा. सरकार PF कर्मचारियों के भविष्य की संपत्ति को बढ़ाने के लिए EPS स्कीम चलाती है. इस स्कीम के तहत PF कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलेगी.


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पेंशन आपके मासिक खर्चों को आसानी से पूरा कर सकती है. अपनी पेंशन से पूरा लाभ उठाने के लिए, कुछ मुख्य बिंदुओं को समझना महत्वपूर्ण है जो किसी भी भ्रम को दूर कर देंगे. निजी क्षेत्र के कर्मचारी अपने वेतन का 12 प्रतिशत EPS खाते में जमा करते हैं. यह पैसा EPFO ​​द्वारा विनियमित होता है.


कंपनी पीएफ को दो हिस्सों में बांटती है. पहला हिस्सा यानी 8.33 फीसदी पैसा कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है, जबकि 3.65 फीसदी ईपीएफ स्कीम में जाता है. इस स्कीम के तहत साल 2014 से केंद्र सरकार ने ईपीएस-1995 के तहत 1000 रुपये पेंशन तय कर रखी है. हालांकि, अब न्यूनतम पेंशन 7500 रुपये करने की लंबे समय से चली आ रही मांग को मंजूरी मिलने की संभावना है.


पेंशन पात्रता से जुड़े अहम नियम
ईपीएस के मुताबिक किसी कर्मचारी को पेंशन तभी मिलती है जब उसने कम से कम 10 साल नौकरी की हो. बिना दस साल की सेवा के पेंशन नहीं मिल सकती. EPS-95 NAC कमेटी का कहना है कि सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए कि पीएफ कर्मचारियों की पेंशन कम से कम 7500 रुपये महीना की जाए.


इसके अलावा ये भी मांग है कि बुजुर्गों को महंगाई भत्ता और मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिलनी चाहिए. ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति का मुख्यालय महाराष्ट्र में है.


पेंशन 7,500 रुपये प्रति माह कैसे हो जाएगी?
अगर कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद 7500 रुपये प्रति माह पेंशन पाना चाहता है तो इसपर EPFO का गणित कहता है 'जो सदस्य 23 वर्ष की आयु में कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में शामिल होता है और 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होता है, तथा 15000/- रुपये की (वर्तमान) वेतन सीमा में योगदान देता है, उसे लगभग 7500/- रुपये पेंशन के रूप में मिल सकता है, यदि सेवा 35 वर्ष की है.


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