MGNREGA और सब्सिडी जैसी लुभावनी योजनाएं सरकार के लिए बनेंगी सिरदर्द? जानिए क्या है चिंता का कारण
Fiscal deficit: बजट में राजकोषीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था. इंडिया रेटिंग्स ने कहा, `पहली पूरक अनुदान मांग और संभवतः दूसरी पूरक अनुदान मांग के भी जरिये बजटीय राजस्व से अधिक व्यय करने के अलावा मौजूदा बाजार मूल्य पर जीडीपी के बजट अनुमान से कम रहने से राजकोषीय घाटा बढ़ जाएगा.`
Fiscal deficit: घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में कर संग्रह में अच्छी वृद्धि होने के बावजूद रोजगार गारंटी योजना और सब्सिडी पर व्यय बढ़ने से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है. रेटिंग एजेंसी ने एक टिप्पणी में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा निर्धारित लक्ष्य से थोड़ा अधिक छह प्रतिशत रह सकता है.
बजट में राजकोषीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था. इंडिया रेटिंग्स ने कहा, 'पहली पूरक अनुदान मांग और संभवतः दूसरी पूरक अनुदान मांग के भी जरिये बजटीय राजस्व से अधिक व्यय करने के अलावा मौजूदा बाजार मूल्य पर जीडीपी के बजट अनुमान से कम रहने से राजकोषीय घाटा बढ़ जाएगा.'
क्यों बढ़ेगा घाटा
इसके मुताबिक, कर एवं गैर-कर राजस्व संग्रह अधिक होने के बावजूद राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. इसके अलावा विनिवेश प्राप्तियों के बजट अनुमान से कम रहने का भी इस पर असर पड़ेगा. पहली पूरक अनुदान मांग में केंद्र सरकार खाद्य, उर्वरक और एलपीजी सब्सिडी के अलावा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जैसे प्राथमिकता क्षेत्रों पर अधिक खर्च करेगी. इस वजह से राजकोषीय घाटा लक्ष्य से आगे निकल सकता है.
चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में मनरेगा के तहत 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन 19 दिसंबर तक 79,770 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं. इसके लिए पहली पूरक अनुदान मांग में 14,520 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है.
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