नई दिल्ली: अदालत में किसी मरीज को बिना जरुरत लंबे समय तक ICU में भर्ती करने या किसी मरीज को जरुरत पड़ने पर ICU बेड ना मिल पाने की शिकायतों का अंबार लगा हुआ है. ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने पर देश की सर्वोच्च अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या हमारे देश में ICU एडमिशन को लेकर कोई दिशा निर्देश हैं या नहीं? बता दें कि 2016 में आए इस निर्देश के लगभग 8 सालों के बाद ICU में भर्ती किेए जाने को लेकर गाइडलाइंस तैयार हो चुकी हैं. इन गाइडलाइंस को अच्छे से समझना आपके लिए बेहद जरूरी है ताकी भविष्य में आपको किसी भी तरह की परेशानी न हो. 


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ICU बेड्स मिलना है बेहद मुश्किल
जहां सरकारी अस्पतालों में ICU बेड्स मिलना बेहद मुश्किल है तो वहीं कई प्राइवेट अस्पतालों में मरीज और उसके रिश्तेदारों को लगता है कि उन्हें बिल बनाने के लिए ICU में जमा किया गया है, जबकि इलाज तो साधारण वॉर्ड में भी हो सकता था. ऐसी ही मुश्किलों का हल ढूंढने के लिए अब सरकार ने ये तय किया है कि किसी मरीज को ICU में एडमिट करने का सही आधार क्या होना चाहिए.  


ICU एडमिशन का आधार 
अगर मरीज का कोई ऑर्गन फेल हो चुका है 
ऐसी आशंका है कि मरीज की मेडिकल हालत बिगड़ने वाली है
मरीज पूरी तरह होश में नहीं है
मरीज का ब्लड प्रेशर, पल्स या हार्ट रेट बहुत असामान्य है
मरीज को सांस नहीं आ रही और उसे ऑक्सीजन, वेंटिलेटर की जरुरत है 
मरीज को हर मिनट मॉनिटरिंग की जरुरत है
मरीज की बीमारी बिगड़ती जा रही है
मरीज की कोई बड़ी सर्जरी हुई है या सर्जरी के दौरान कोई दिक्कत हो गई है
बड़ी सर्जरी जैसे - पेट की बड़ी सर्जरी, गले या हार्ट की बड़ी सर्जरी, एक्सीडेंट या ब्रेन इंजरी


किस मरीज को ICU में भर्ती नहीं किया जा सकता है? 
मरीज का नजदीकी परिवार ICU में मरीज को भर्ती करने से मना कर दे
किसी ने जीते जी अपनी वसीयत कर दी हो कि वो ICU में एडमिट नहीं होना चाहता
ऐसे मरीज जो मरने के कगार पर हैं और मेडिकल तौर पर उनके इलाज में कोई फायदा संभव ना हो
अगर आपदा की स्थिति हो - और बेड्स सीमित हों तो प्राथमिकता के आधार पर ICU एडमिशन मिले 


क्या कहती है गाइडलाइंस 
इन गाइडलाइंस को 24 एक्सपर्ट्स की टीम ने मिलकर तैयार किया है. इस दौरान क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ आर के मनी ने बताया कि गाइडलाइंस में साफ लिखा गया है कि अगर परिवार को लगता है कि मरीज को अस्पताल में रखने से उसकी हालत में सुधार की गुंजाईश नहीं है तो वो भी ये फैसला ले सकते हैं कि मरीज को घर ले जाएं, हालांकि जहां तक संभव हो ये फैसला पैसों की कमी की वजह से ना लिया जाए.  


एक केस को लेकर जारी हुई गाइडलाइंस 
ICU इंचार्ज डॉ अर्पित का कहना है कि जब तक मरीज को ICU में बेड नहीं मिल जाता तब तक उसका ब्लड प्रेशर, पल्स रेट, हार्ट रेट, ऑक्सीजन मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी अस्पताल की है. इसके अलावा ICU में मरीज की भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट रबिन मजूमदार ने बताया कि कोलकाता में एक मरीज को जरुरत पड़ने पर ICU में भर्ती नहीं किया गया और मरीज की जान चली गई, जिसके बाद परिवार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. 2013 से चल रहे इस केस की वजह से ही सरकार को ICU गाइडलाइंस बनानी पड़ी. 


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