नई दिल्ली: देश के हर नागरिक को पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने सरकार ने शुक्रवार को बड़ी घोषणा की है. 


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केंद्र सरकार के जलशक्ति मंत्रालय ने देश भर में दो हजार ऐसी प्रयोगशालाएं खोलने की घोषणा की है, जिनमें आप सामान्य सा शुल्क चुकाकर अपने घर के पीने के पानी की जांच करा सकते हैं. 


इस योजना के माध्यम से केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि देश की बड़ी आबादी को शुद्ध पानी उपलब्ध कराया जा सके. 


हर घर को मिलेगा शुद्ध पानी 


हमारे देश की बड़ी आबादी आज भी पानी के संकट से जूझ रही है. देश के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पीने का पानी तो दूर की बात है, पानी ही उपलब्ध नहीं है.


ऐसे इलाकों में लोगों को पानी के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता है. इसके साथ ही देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो मजबूर होकर गंदा पानी पीने को मजबूर है.



लोगों के बीमार पड़ने का एक बड़ा कारण अशुद्ध पानी का सेवन भी है. इस समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने देश भर में दो हजार ऐसी प्रयोगशालाएं खोलने का ऐलान किया है, जो लोगों को इस बात से अवगत कराएंगी कि जिस पानी का वे पीने के लिए सेवन कर रहे हैं, वह शुद्ध है अथवा अशुद्ध. 


केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का लक्ष्य है कि साल 2024 तक देश के हर घर में पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध हो.


इन प्रयोगशालाओं में पानी की पीएच वैल्यू और उसमें मौजूद क्लोराइड, आयरन, फ्लोराइड, आर्सेनिक, नित्रेत, हार्डनेस सहित 12 पैरामीटर्स की जांच की जाती है.


इस जांच के लिए लोगों से डेढ़ सौ से छह सौ रुपये के बीच वसूल किए जाएंगे.


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कैसे उपलब्ध होगा शुद्ध पानी


अगर कोई व्यक्ति इन प्रयोगशालाओं में अपने घर के पीने के पानी की जांच कराता है, तो यह जांच की रिपोर्ट उसके साथ-साथ एक हेल्थ इंजीनियर को भी भेजी जाएगी. 


इस हेल्थ इंजीनियर की जिम्मेदारी होगी कि वह उस व्यक्ति के घर जाकर पानी के उपस्थित अशुद्धियों को दूर करें. 


कहां से मिलेगी प्रयोगशाला की जानकारी


आप अपने घर के पानी की जांच कराने के लिए जलशक्ति मंत्रालय की वेबसाइट से अपनी निकटतम प्रयोगशाला की जानकारी  हासिल कर सकते हैं. 


देश के हर राज्य में जिला और ब्लॉक स्तर पर यह प्रयोगशालाएं खोली जाएंगी. 



इस योजना के तहत, राज्य सरकारों से यह भी अपील की गई है कि उन बस्तियों में नल के माध्यम से पानी की आपूर्ति को प्राथमिकता दें, जहां पीने के पानी के प्रदूषित होने की समस्या सबसे अधिक है. 


अभी तक  राज्यों ने 27,544 आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में से, राज्यों ने 26,492 बस्तियों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति के प्रावधान किए हैं.


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