नई दिल्ली: एक नए शोध से पता चला है कि जो लोग मुख्य रूप से बैठ कर लंबे समय तक काम करते हैं, उन्हें मृत्यु दर के बढ़ते जोखिम को कम करने के लिए प्रतिदिन 15 से 30 मिनट की अतिरिक्त शारीरिक गतिविधि करने की आवश्यकता होगी. 481,688 व्यक्तियों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि जो व्यक्ति मुख्य रूप से बैठ कर काम करते हैं, उनमें मृत्यु दर (16 प्रतिशत) और हृदय रोग (34 प्रतिशत) का अधिक जोखिम है.


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लंबे समय तक बैठे रहना है खतरनाक 
आधुनिक जीवनशैली तेजी से गतिहीन हो गई है, लंबे समय तक बैठे रहना अब सामान्य जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है. जर्नल जेएएमए नेटवर्क ओपन में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि कार्यस्थल पर लंबे समय तक बैठे रहने को कम करना और/या दैनिक शारीरिक गतिविधि की मात्रा बढ़ाना मृत्यु दर और लंबे समय तक जुड़े हृदय रोग के बढ़ते जोखिम को कम करने में फायदेमंद हो सकता है.


क्या कहता है अध्ययन 
अध्ययन में ताइवान में एक स्वास्थ्य निगरानी कार्यक्रम के प्रतिभागियों को शामिल किया गया और उनका 1996 और 2017 के बीच अध्ययन किया गया. बैठने, ख़ाली समय की शारीरिक गतिविधि (एलटीपीए) की आदतों, जीवनशैली और चयापचय मापदंडों पर डेटा एकत्र किया गया. डेटा विश्लेषण दिसंबर 2020 में किया गया था.


शारीरिक गतिविधि है जरूरी 
अध्ययन में 12.8 (5.67) वर्षों की औसत अनुवर्ती अवधि के दौरान 26,257 मौतें दर्ज की गईं. लिंग, उम्र, शिक्षा, धूम्रपान, शराब पीने और बॉडी मास इंडेक्स को देखने के बाद, जो लोग ज्यादातर काम पर बैठे रहते थे, उनमें उन लोगों की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक मृत्यु दर और सीवीडी से मृत्यु दर 34 प्रतिशत अधिक थी.  इस अध्ययन में, काम पर बैठने और न बैठने के बीच बदलाव के साथ-साथ प्रति दिन 15 से 30 मिनट की अतिरिक्त शारीरिक गतिविधि ने लंबे समय तक बैठे रहने के नुकसान को कम कर दिया.


इनपुट-आईएएनएस


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें. 


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