नई दिल्ली:  लगभग दो दशक बाद लेगेसी सर्वे ऑफ स्पेस एंड टाइम ( LSST) कैमरा बनकर तैयार हो चुका है. अब इसे चिली के रुबिन ऑब्जर्वेटरी में भेजा जाएगा, जहां पर यह कैमरा 3,200 मेगापिक्सल में स्पेस की तस्वीरें क्लिक करेगा. बता दें कि यह दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा है. इसकी मदद से वैज्ञानिकों को ब्रह्माण्ड से जुड़े कई रहस्यों को सुलझाने में मदद मिल सकती है. 


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कैमरा तैयार करने में आया इतना खर्चा 
LSST कैमरा को कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में ऊर्जा विभाग के SLC नेशनल एक्सेलेटर लैबोरेटरी  में बनाया गया. इसे पूरी तरह से तैयार करने में 700 मिलियन डॉलर यानी भारतीय कीमत में तकरीबन 57 बिलियन डॉलर का खर्चा आया है. कैमरे के सेंसर और ऑप्टिकल डिजाइन को देखते हुए इसकी इतनी महंगी कीमत का होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. 


कैमरे के फीचर्स 
LSST कैमरे का आकार एक छोटी कार के जैसा है. इसका वजन 3 टन के करीब है. 3,200 मेगापिक्सल सेंसर के अलावा इसमें 5 फुट चौड़ा फ्रंट लेंस भी है. यह  पूरे 10 साल यानी एक दशक तक रात के समय आसमान में हो रही हलचल को रिकॉर्ड कर सकता है. यह  डार्क एनर्जी और डार्क मैटर के नेचर को भी जानने में मदद कर सकता है. इसके अलावा यह चंद्रमा की सतह पर मौजूद बेहद छोटे कण को भी हाई क्वालिटी में कैप्चर कर सकता है.  


मैप बनाने में मदद करेगा कैमरा


पूर्व LSST कैमरा प्रोजेक्ट मैनेजर और LLNL इंजीनियर विंसेंट रिऑट के मुताबिक लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी ( LLNL ) को बेहद गर्व है कि उसे दुनिया के सबसे बड़े लेंस समेत LSST कैमरे के लिए बड़े लेंस और ऑप्टिकल फिल्टर के डिजाइन और निर्माण की देखरेख करने का मैका मिला. वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेल्को इवेजिक का कहना है कि  LSST कैमरे के पूरे होने और चिली में रुबिन ऑब्जर्वेटरी सिस्टम के बाकी हिस्सों के साथ जुड़ने से हम जल्द ही रात के आसमान का अब तक का सबसे जानकारीपूर्ण मैप बनाना शुरू कर देंगे.   


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