नई दिल्ली : Misophonia: कई लोगों को दूसरों के खांसने, छींकने, खाना चबाने, सींटी बजाने, उबासी लेने, खर्राटे लेने और डकार लेने की आवाज सुनकर चिड़चिड़ापन होने लगता है. आमतौर पर लोग इसे सामान्य स्वभाव समझकर छोड़ देते हैं. बता दें अगर ये समस्या आपको हमेशा होती है और इसके चलते आपका मूड खराब हो जाता है तो बता दें कि यह मिसोफोनिया नाम की एक बीमारी है, जो आमतौर पर कई लोगों को होती है. ऐसे लोग टीवी, म्यूजिक या रेडियो की आवाज सुनकर तो नॉर्मल रहते हैं, लेकिन सामने वाले व्यक्ति के खांसने-छींकने, बर्तन बजने, खरोंचने और घड़ी की सुई की आवाज जैसी आवाज से झुंझला जाते हैं. इस तरह की विशेष आवाजों को सुनकर उन्हें झुंझलाहट होने लगती है. 


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क्या है मिसोफोनिया? 
एक स्टडी के मुताबिक मिसोफोनिया एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है जिसमें व्यक्ति को कुछ खास तरह की आवाजों से झुंझलाहट या परेशानी होने लगती है.  Current Biology sheds में छपी एक स्टडी के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 20 प्रतिशत लोगों को यह डिसऑर्डर है, जिस कारण उन्हें गुस्सा, चिड़चिड़ापन या स्ट्रेस होने लगता है. इस समस्या में व्यक्ति का ब्रेन का इंटीरियर इंसुलर कॉरटेक्स बेहद ही ज्यादा एक्टिव होता है. मिसोफोनिया के मरीज इन तरह की आवाजों को सुनकर भागने लगते हैं. कई मामलों में तो ऐसे लोग एंकात में रहना पसंद करते हैं और अपने आस-पास के लोगों से बुरा बर्ताव करते हैं. बता दें कि इस कंडीशन के बारे में पहली बार साल 2000 में पता लगाया गया था. 


मिसोफोनिया के लक्षण 
मिसोफोनिया से ग्रसित व्यक्ति अप्रिय लगने वाली आवाज पर अपना गुस्सा जाहिर करता है. इसके लिए वह ऐसे लोगों से दूर रहने लगते हैं, जिसके खाने, चबाने, छींकने, सांसे लेने, खर्राटे लेने या डकार मारने और उबासी लेने से उन्हें परेशानी होती है. इस समस्या से पीड़ित लोग ज्यादा सोशल होना पसंद नहीं करते और छोटी-छोटी बातों पर उग्र हो जाते हैं. स्टडी के मुताबिक जो लोग मिसोफोनिया की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें अपने डेली लाइफस्टाइल में काफी एडजस्ट करना पड़ता है.  


मिसोफोनिया का इलाज 
मिसोफोनिया डॉसऑर्डर के लिए साइकॉलोजिस्ट मरीज के बिहेवियर और लाइफस्टाइल में बदलाव करने का सुझाव देते हैं. इसके लिए उन्हें रोज एक्सरसाइज करने, हेल्दी डाइटे लेने, समय से सोने और तनाव कम लेने का सुझाव दिया जाता है. इसके अलावा बिहेवियरल थेरेपी के जरिए भी इस डिसऑर्डर को ठीक किया जा सकता है. इसमें कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी और टिन्नीटस मिसोफोनिया की मदद से मरीज का इलाज किया जाता है. मिसोफोनिया के मरीजों को सिंपल प्रैक्टिस और उनके आस-पास रहने वाले लोगों की मदद से छुटकारा दिलाया जा सकता है.  


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.   


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