नई दिल्लीः नई शिक्षा नीति में शिक्षा व्यवस्था की 34 साल पुरानी परिपाटी को बदलकर अधिक से अधिक प्रायोगिक बनाने पर जोर दिया गया है. इसके लिए सबसे पहले छोटे स्तर पर बच्चों की पढ़ाई और खेल में कोई फर्क नहीं रखा जाएगा. इसके साथ ही रिपोर्ट कार्ड भी ऐसा जारी होगा कि नंबरों को लेकर दबाव न बने. 


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ऐसे होगा मूल्यांकन
बच्चों का रिपोर्ट कार्ड पूरी तरह बदल जाएगा. उनका तीन स्तर पर आकलन किया जाएगा. पहला आंकलन बच्चा खुद ही करेगा. इसके बाद उसका साथी छात्र और तीसरा मूल्यांकन उनका शिक्षक करेगा.



सरकार के मिली जानकारी के मुताबिक, नेशनल एसेसमेंट सेंटर-परख बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण करेगा. 


कुछ और बदलाव होंगे खास
सौ फीसदी नामांकन के जरिए पढ़ाई छोड़ चुके करीब दो करोड़ बच्चों को फिर दाखिला दिलाया जाएगा. नई शिक्षा नीति के तहत अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा.



बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा


खेल-खेल में सीखेंगे छात्र
तीन साल की उम्र से लेकर आठवीं उम्र तक न परीक्षा होगी, ना कोई पाठ्यक्रम होगा, ना किताब होगी. अब उन्हें केवल खेल-खेल में सिखाया जाएगा. 9वीं से 12वीं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा. वहीं कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी.


उच्च शिक्षा में होंगे बड़े बदलाव
3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में  MA कर सकेंगे. अब स्‍टूडेंट्स को  MPhil नहीं करना होगा. बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे. 



 


मार्क्स के साथ स्किल्स को भी तरजीह
स्टूडेंट्स को 360 डिग्री होलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड दिया जाए, यह भी नई पॉलिसी में सुझाया गया है. इस रिपोर्ट कार्ड का मतलब है कि सब्जेक्ट्स में मार्क्स के साथ ही स्टूडेंट की दूसरी स्किल्स और मजबूत बिंदुओं को रिपोर्ट कार्ड में जगह दी जाए. 


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