UPI Payment New Rule: एक अप्रैल से नये फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत होने जा रही है जिसके साथ ही कई सारी चीजों में बदलाव भी नजर आयेगा. केंद्र सरकार की ओर से 2023-24 के लिये प्रस्तुत किये गये बजट के संसोधन भी इसी दिन से लागू होंगे तो वहीं पर देश में ऑनलाइन पेमेंट के विकल्प UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) का संचालन करने वाली संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने नया सर्कुलर जारी किया है जो कि आम आदमी की जेब पर असर डालता हुआ नजर आ सकता है.


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महंगी होने वाली है यूपीआई से पेमेंट की सेवा


इस सर्कुलर के अनुसार देश में ऑनलाइन ट्रॉन्जैक्शन के लिये सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाले इस विकल्प के लिये अब से ग्राहकों को अतिरिक्त चार्ज देना पड़ेगा. इस सर्कुलर में एक अप्रैल से यूपीआई के जरिए किसी भी मर्चेंट को होने वाली हर पेमेंट पर PPI चार्ज लगाने की सिफारिश की गई है. इसका मतलब है की नये वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही यूपीआई से लेन-देन (UPI Transaction) भी महंगा होने वाला है.


जानें हर पेमेंट पर देना होगा कितना चार्ज


बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के अनुसार NPCI प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPI) चार्ज लगाने की तैयारी कर रहा है जिसके तहत 2000 या उससे ज्यादा के ट्रांजैक्शन पर 0.5 से 1.1 फीसदी का पीपीआई चार्ज लगाने का सुझाव दिया गया है. यह चार्ज मर्चेंट ट्रांजैक्शंस पर लगेगा जिसका मतलब है कि यह सीधा पेमेंट करने वाले यूजर्स के खाते से ही जाएगा.


उल्लेखनीय है कि भारत में यूपीआई के जरिये होने वाली कुल पेमेंट का 70 फीसदी हिस्सा 2000 रुपये से अधिक का होता है, ऐसे में अगर अतिरिक्त चार्ज लगेगा तो आम आदमी को हर ट्रांजैक्शन पर 10 से 22 रुपये तक एक्सट्रा चार्ज देना पड़ेगा. मौजूदा समय में यूपीआई से पेमेंट करना पूरी तरह से फ्री है.


कब लगता है पीपीआई चार्ज


गौरतलब है कि पीपीआई चार्ज वॉलेट या किसी कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन करने पर ही लगता है और इसे लेन-देन को स्वीकार करने के साथ लागत को कवर करने के लिये लागू किया जाता है. NPCI ने सर्कुलर में साफ किया है कि एक अप्रैल को नियम लागू करने के बाद 30 सितंबर,2023 को पहली बार इसका रिव्यू किया जाएगा.


जानें कहां नहीं लगेगा इंटरफेस चार्ज


नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन (NPCI) ने अपने सर्कुलर में अलग-अलग फील्ड के लिये अलग-अलग चार्जेस निर्धारित किये हैं जिसके तहत खेती और टेलिकॉम से जुड़े सेक्टर्स में सबसे कम इंटरचेंज फीस रखी गई है तो वहीं पर कन्ज्यूमर से जुड़ी सेवाओं पर इसे अधिकतम रखा गया है. व्यापारियों को पेमेंट करने वाले यूजर्स को इंटरजेंज फीस यानि कि मर्चेंट ट्रांजैक्शंस देना पड़ेगा. इस सर्कुलर के मुताबिक बैंक अकाउंट और PPI वॉलेट के बीच पीयर-टू-पीयर (P2P) (दो यूपीआई अकाउंट के बीच की पेमेंट जो व्यापार के लिये रजिस्टर नहीं है) और पीयर-टू-पीयर-मर्चेंट (P2PM) (दो व्यापारिक अकाउंट वाले यूपीआई) में किसी तरह के ट्रांजैक्शन पर कोई शुल्क नहीं देना होगा. 


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