Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाएगी? केंद्रीय मंत्री ने दिया बड़ा अपडेट
कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल होने के बाद इसे लेकर बहस एक बार फिर से छिड़ गई है. कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन योजना को दोबारा से लागू करने की मांग लगातार कर रहे हैं.
नई दिल्लीः Old Pension Scheme: कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल होने के बाद इसे लेकर बहस एक बार फिर से छिड़ गई है. कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन योजना को दोबारा से लागू करने की मांग लगातार कर रहे हैं. राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना बहाल हो चुकी है, लेकिन अन्य राज्यों और केंद्र के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है. इस बीच पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के प्लान को लेकर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने सरकार के दोटूक पक्ष रखा है.
किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही सरकार
उन्होंने बीते मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. उन्होंने यह भी साफ किया कि पुरानी पेंशन योजना की वापसी की इच्छा रखने वालों को संचित एनपीएस फंड की वापसी नहीं मिलेगी. क्योंकि इस संबंध में पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है.
बता दें कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत जिन राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल की है, उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार को जानकारी दी है. साथ ही राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत संचित फंड की वापसी की अपील की है.
'पीएफआरडीए अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं'
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि पीएफआरडीए अधिनियम 2013 के तहत कोई प्रावधान नहीं है, जिससे अभिदाताओं के संचित कोष जैसे सरकारी योगदान, एनपीएस के लिए कर्मचारियों के लिए योगदान के साथ साथ उपार्जन वापस किया जा सकता हो. राज्य सरकार को वापस जमा किया जा सकता हो.
1 जनवरी 2004 के बाद से एनपीएस है लागू
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार 1 जनवरी 2004 के बाद से भर्ती केंद्रीय कर्मचारियों के लिए दोबारा पुरानी पेंशन लागू करने के किसी भी प्रस्ताव पर मंथन नहीं कर रही है. नई पेंशन योजना को केंद्र सकार की तरफ से दिसंबर 2003 में परिभाषित लाभ पेंशन प्रणाली को परिवर्तित करने के लिए प्रस्तुत किया गया था.
नई पेंशन योजना को 1 जनवरी 2004 को सरकारी सेवाओं में सभी नई भर्तियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था. हालांकि, सशस्त्र बलों को इससे छूट दी गई थी. वहीं, 1 मई 2009 से स्वैच्छिक आधार पर इसे सभी लोगों के लिए लागू कर दिया गया.
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