Paris Olympics: ताकत कम, दिमाग ज्यादा इस्तेमाल करते हैं ओलंपिक के खिलाड़ी, रिसर्च में सामने आई ये बातें!
Paris Olympics: ओलंपियंस में आत्मविश्वास, सकारात्मक व्यक्तित्व, प्रेरणा और फोकस जैसे मनोवैज्ञानिक कारणों के साथ-साथ सामाजिक समर्थन की भावना उन्हें खेल में नकारात्मक चीजें या तनाव से बचाने में मदद करती हैं.
नई दिल्ली: Paris Olympics: पेरिस में ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है. ओलंपिक में हिस्सा लेना हर खिलाड़ियों के लिए अपने आप में एक उपलब्धि है, हालांकि इसके साथ उन्हें कई तरह के फिजिकल और मेंटल प्रेशर से भी गुजरना पड़ता है. भले ही मे़डल जीतने के लिए खिलाड़ियों को अपना शरीर फिट और एक्टिव रखना पड़ता है, लेकिन इस बात को भी नहीं नकारा जा सकता है कि खिलाड़ियों की सफलता और असफलता में साइकोलॉजी की भूमिका भी काफी रहती है.
दबाव में कैसे कर पाते हैं प्रदशर्न?
हम सभी जानते हैं कि ओलंपिक में हाई लेवल का कॉम्पिटिशन होता है. इससे खिलाड़ियों पर काफी ज्यादा दबाव रहता है. छोटी-छोटी गलतियों के कारण कई खिलाड़ी पदक से हाथ धो बैठते है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर खिलाड़ी कैसे मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का इस्तेमाल करके अपने मन पर नियंत्रण कर पाते हैं और इतने दबाव में कैसे अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं?
लचीलापन
'साइंस डायरेक्ट' में पब्लिश साल 2021 की एक स्टडी में पाया गया कि ओलंपियंस में आत्मविश्वास, सकारात्मक व्यक्तित्व, प्रेरणा और फोकस जैसे मनोवैज्ञानिक कारणों के साथ-साथ सामाजिक समर्थन की भावना उन्हें खेल में नकारात्मक चीजें या तनाव से बचाने में मदद करती हैं. इन कारणों से खिलाड़ियों में लचीलापन बढ़ता है और उनमें अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना बढ़ती है. सामाजिक समर्थन से अर्थ है कि खिलाड़ी के परिवार, दोस्तों और कोचों से मिलने वाला सहारा.
वर्तमान में रहना
'साइंस अलर्ट'में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक खिलाड़ी अपनी पिछली असफलताओं से बचने और इनसे उबरने के लिए माइंडफुलनेस का सहारा लेते हैं. इसके जरिए उन्हें असफलताओं से मिली निराशा और पदक पाने के लिए झेल रहे दबाव से बचाया जा सकता है. वहीं खिलाड़ी खुद को वर्तमान में रखने की कोशिश करते हैं इससे वे चिंता कम करते हैं और काम पर अच्छे से फोकस कर पाते हैं.
मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना
असफलता हर किसी को निराश करती है. खिलाड़ियों को जीत पसंद होती है और ये न मिलने पर वे निराश हो जाते हैं. यहां तक की कई खिलाड़ी पोस्ट ओलंपकि ब्लूज का अनुभव भी करते हैं, जिसे अक्सर ओलंपिक खेलों के बाद खालीपन, डिप्रेशन और आत्म सम्मान की हानि के रूप में परिभाषित किया जाता है. भले ही एथलीट ने एक भी पदक जीता हो. 'ब्रिटिश साइकिलिस्ट' विक्टोरिया पेंडलटन ने साल 2016 में ' द टेलीग्राफ' को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि दूसरे स्थान पर आना आसान होता है क्योंकि फिर आप पहले नंबर पर आने के लिए लक्ष्य बनाते हैं, लेकिन जब आप जीत जाते हैं तो आप अचानक हार जाते हैं. साल 2020 में की गई एक ऑस्ट्रेलियाई स्टडी में खिलाड़ियों की मेंटल हेल्थ को बनाए रखने और उनके खेल में प्रदर्शन के बीच संबंध पर प्रकाश डाला गया. इसमें कहा गया कि खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थय को बरकरार रखने के लिए उन्हें पौष्टिक खाना और एक स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट भी दिलवाया जाए, जिससे वे आने वाली चुनौतियों का बिना किसी तनाव के सामना कर सकें.
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