नई दिल्ली: देश में 80 करोड़ लोगों प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत हर माह मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जाता है. कोरोना काल में लोगों को राशन उपलब्ध कराने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना से देश के गरीब वर्ग को बड़ी राहत मिली है. लेकिन इस योजना को जारी रखने के लिए केंद्र सरकार को एक बड़ी रकम की आवश्यकता होगी. 


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हाल ही में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने एक रिपोर्ट जारी रखी है, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर मुफ्त राशन योजना को सितंबर के बाद भी आगे बढ़ाया जाता है, तो सरकार पर बोझ बहुत तेजी से बढ़ेगा. वहीं अगर टैक्स में भी किसी तरह की राहत दी जाती है, तब भी सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा.  


केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले ही पेट्रोल-डीजल और खाद्य तेल पर एक्साइज ड्यूटी कम की है, जिस कारण सरकार के लिए वित्तीय स्थिति पहले से ही गंभीर बन गई है. 


सरकार पर बढ़ सकता है इतना बोझ


वित्त मंत्रालय ने हाल ही में एक आंतरिक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह कहा गया है कि अगर केंद्र सरकार मुफ्त राशन योजना को सितंबर के बाद भी जारी रखती है, तो सरकार पर 80,000 करोड़ रुपये का बोझ और बढ़ जाएगा. इस कारण खाद्य सब्सिडी का बिल 3.7 लाख करोड़ रुपये के पार चला जाएगा. इसे देखते हुए केंद्र सरकार को वित्त मंत्रालय ने सलाह दी है कि इस योजना को सितंबर माह से आगे न बढ़ाया जाए. 
 
मार्च में बढ़ाई गई थी योजना की अवधि


केंद्र सरकार ने मार्च महीने में मुफ्त राशन योजना को 6 महीने तक और बढ़ाने का फैसला लिया था. अगर आकलन करें, तो यह अवधि सित्नाब्र माह में पूरी हो रही है. इस लिहाज से सितंबर माह में इस योजना पर रोक की संभावना काफी अधिक है. मुफ्त राशन योजना के लिए इस साल सरकार ने 2.07 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा था, जो कि काफी कम था. 


अब सरकार पर लगातार वित्तीय बोझ बढ़ते हुए देख यही संभावना जताई जा रही है कि सितंबर के बाद इस योजना को स्थगित किया जा सकता है. 


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