नई दिल्ली:  खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी डाइट के कारण आजकल कम उम्र में ही लोगों को तरह-तरह की बीमारियां घेरने लगी हैं. 'डेली मेल' की एक रिपोर्ट के मुताबिक 4 साल की उम्र की लड़कियों में मोटापे के कारण होने वाले जोड़ों में दर्द ( Joint Pain) की समस्या बढ़ रही है. इससे पीड़ित कई लड़कियां डॉक्टरों के पास जा रही हैं. 


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लड़कियों में बढ़ी परेशानी  
'डेली मेल' के मुताबिक नेशनल चाइल्ड मेजर्मेंट प्रोग्राम और GP रिकॉर्ड्स की ओर से इकट्ठा किए गए 120,000 बच्चों के डाटा में सामने आया है कि लड़कियों में अपने साथियों के मुकाबले मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम से जुड़ी समस्याओं के लिए मदद मांगने की संभावना लगभग दोगुनी थी. इनमें घुटने और पीठ से जुड़ी समस्याएं सबसे आम थीं. एक्सपर्ट्स ने चेतावनी देते हुए कहा है कि ये समस्या बेहद ज्यादा भार उठाने के कारण होने वाले तनाव के चलते हो रही है. 


डॉक्टर के पास ज्यादा जा रहीं लड़कियां 
लंदन के 'क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी' के मुताबिक ये समस्या लड़कों में नहीं देखी गई है. इसको लेकर उनकी ओर से एक रिसर्च की गई, जिसमें 4-5 साल के 63,418 बच्चे और 10-11 साल के 55,364 बच्चों का डाटा लिया गया. इसमें पाया गया कि प्राइमरी स्कूल की शुरुआत में 7.1 लड़कियों के मुकाबले 8.9 प्रतिशत लड़के मोटापे से ग्रसित थे, जो छठे साल में बढ़कर 19.9 प्रतिशत और 14.4 प्रतिशत हो गई. GP डाटा से कंपेयर करने पर पता चला कि 4-5 साल के 3 प्रतिशत बच्चे और  6 साल के 8 प्रतिशत बच्चे जोड़ों में दर्द से प्रभावित थे. 'आर्काइव्स ऑफ डिजीज इन चाइल्डहुड' में पब्लिश इस रिसर्च के मुताबिक लड़कियों में इस समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाने की संभावना ज्यादा थी. 


लड़कियों में बढ़ी पीठ दर्द की शिकायत 
रिसर्चर्स के मुताबिक 4-5 साल के बच्चों में 32 प्रतिशत लड़कियों और 22 प्रतिशत लड़कों को पीठ दर्द की शिकायत थी, जबकि 6 साल की 45 प्रतिशत लड़कियों और 30 प्रतिशत लड़कों ने  पीठ दर्द की शिकायत की. रिसर्चर्स ने इसको लेकर चेतावनी देते हुए कहा कि बचपन के दौरान होने वाली खराब मस्कुलोस्केलेटल हेल्थ पूरे बचपन, युवावस्था और व्यसक होने तक जीवन की गुणवत्ता पर काफी प्रभाव डाल सकता है. उन्होंने कहा कि मस्कुलोस्केलेटल समस्याओं के कारण बच्चों में फिजिकल एक्टिविटी में भागीदारी सीमित हो सकती है. वहीं अभी इस बात पर और रिसर्च करने की भी जरूरत है कि आखिर लड़कों को डॉक्टर से परामर्श लेने की संभावना कम क्यों है. 


Disclaimer: यहां दी गई जानकारी रिसर्च  पर आधारित है, लेकिन Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


 


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