Discovery: वैज्ञानिकों ने की बड़ी खोज, प्रग्नेंसी से बचने के लिये अब पुरुषों को नहीं करानी होगी नसबंदी
Discovery: मौजूदा समय में गर्भ निर्धारण के कई तरीके मौजूद हैं जिसके तहत महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां और सर्जरी जैसे उपायों का इस्तेमाल कर सकती हैं. हालांकि पुरुषों के लिये यह तरीके नसबंदी और कंडोम के इस्तेमाल तक ही सीमित हैं. वहीं कंडोम भी 100 प्रतिशत गर्भनिरोध प्रूफ नहीं होते हैं.
Discovery: मौजूदा समय में गर्भ निर्धारण के कई तरीके मौजूद हैं जिसके तहत महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां और सर्जरी जैसे उपायों का इस्तेमाल कर सकती हैं. हालांकि पुरुषों के लिये यह तरीके नसबंदी और कंडोम के इस्तेमाल तक ही सीमित हैं. वहीं कंडोम भी 100 प्रतिशत गर्भनिरोध प्रूफ नहीं होते हैं. ऐसे में ज्यादातर पुरुष नसबंदी से बचना चाहते हैं और सेक्स के बाद प्रेग्नेंसी से बचने के लिये महिलाओं को ही गर्भनिरोधण गोलियों का इस्तेमाल करना पड़ता है.
डॉक्टर्स के अनुसार महिलाओं के ज्यादा गर्भनिरोधण गोलियों का इस्तेमाल करने से कुछ दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है. हालांकि वैज्ञानिकों ने पुरुषों की इस समस्या को दूर कर दिया है और पुरुषों के लिये भी गर्भनिरोधक गोलियों का आविष्कार कर लिया है.
पुरुषों के लिये भी जल्द आ सकती है गर्भनिरोधक गोलियां
पुरुषों के लिये गर्भनिरोधक गोलियां बनाने के काम में डॉक्टर्स लंबे समय से लगे हैं लेकिन अब जाकर उन्हें एक बड़ी सफलता मिली है और ऐसी दवा विकसित की है जो कुछ देर के लिये पुरुषों के स्पर्म को रोकने में कामयाब हो गई है. अमेरिकी की वील कॉर्नेल दवा कंपनी के रिसर्चर्स ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसी गर्भनिरोधक दवा विकसित की है जो अस्थायी रूप से शुक्राणुओं को अपने रास्ते में आने से रोककर प्रेग्नेंसी को रोकती है.
वैज्ञानिकों को मिली बड़ी कामयाबी
रिसर्चर्स ने दावा किया है कि पुरुषों के लिये गर्भनिरोध का एक बड़ा विकल्प कंडोम है या फिर प्रेग्नेंसी से बचने के लिये उन्हें नसबंदी से गुजरना पड़ता है. पुरुषों के लिये पहले जो गर्भनिरोध गोलियां बनाने का प्रोजेक्ट चल रहा था उसके कई दुष्परिणाम सामने आने के बाद उसे बंद कर दिया गया था. हालांकि अब इसमें एक बड़ी कामयाबी हासिल हो गई है पुरुषों के लिये कॉन्ट्रेसेप्टिव पिल बनाने वाली टीम को चूहों के ऊपर किये गये टेस्ट के दौरान सफलता हासिल हुई है.
नेचर कम्युनिकेशंस की ओर से छापी गई स्टडी में दावा किया है कि TDI-11861 चूहों को एसएसी (SAC) की एक डोज दी गई थी जिसके चलते चूहों के शुक्राणु ढाई घंटे तक न्यूट्रल रहे थे. इस दौरान जब चूहा ने महिला चूहों के साथ संबंध बनाने तो चूहे के शुक्राणु इनएक्टिव ही बने रहे. हालांकि 3 घंटे बाद कुछ शुक्राणु मोशन में आ गये थे और सभी शुक्राणुओं के मोशन में आने के लिये 24 घंटे का समय लगा.
चूहों पर कामयाब हुआ परीक्षण
इस प्रक्रिया को करीब 52 बार अलग-अलग समय पर दोहराया गया और एक बार भी मादा चुहिया गर्भवती नहीं हुई. रिसर्चर्स ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि यह गोली संभोग करने के 30 मिनट और एक घंटे के अंदर ही काम करती है जबकि दूसरी कॉन्ट्रेसेप्टिव पिल्स में अंडे को निषेचित करने में एक हफ्ते का समय लग जाता है. इन दवाओं का असर ज्यादा समय तक नहीं रहता है तो ऐसे में पुरुषों को अपनी सेक्स कॉम्पैबिलिटी के हिसाब से फैसला लेने की आजादी होती है.
जल्द शुरू होगा क्लिनिकल ट्रॉयल
मेडिकल कंपनी ने दावा किया है कि उनकी टीम ने इन दवाओं का चूहों पर सफल परीक्षण किया है और अब वो पुरुषों पर इसका ट्रॉयल शुरू करेगी. रिसर्चर्स इसको लेकर एक अलग प्रीक्लिनिकल मॉडल अपनाएंगे और क्लिनिकल ट्रॉयल के दौरान टेस्ट सफल होता है तो जल्द ही यह गोली बाजार में पुरुषों के लिये उपलब्ध हो जाएगी.
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