बैंक ने नहीं दिया लोन, मां के गहने बेचकर शुरू किया ये बिजनेस, आज हैं 2000 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक
Success Story: वर्तमान में, कंपनी 14,000 पिन कोड को कवर करती है. यह खुदरा ग्राहकों और व्यवसायों दोनों के लिए डिलीवरी सेवाएं प्रदान करती है. साथ ही, दुनिया भर में 220 गंतव्यों में इसकी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति है. इसके प्रमुख क्लाइंट में विप्रो, इंफोसिस और टाटा समूह शामिल हैं.
Success Story: आज हम 2,000 करोड़ रुपये की कंपनी डीटीडीसी (DTDC) के संस्थापक और अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुभाशीष चक्रवर्ती की प्रेरक स्व-निर्मित सफलता की कहानी के बारे में बात करेंगे. सुभाशीष चक्रवर्ती का जन्म कोलकाता के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उन्होंने रामकृष्ण मिशन आवासीय कॉलेज में रसायन विज्ञान की पढ़ाई की. कॉलेज के दौरान ही उन्होंने एक बड़ी बीमा कंपनी पीयरलेस के साथ काम करना शुरू कर दिया. 1981 में कंपनी ने सुभाशीष को अपना बीमा कारोबार बढ़ाने के लिए बैंगलोर भेज दिया.
इसके बाद 1987 में उन्होंने बीमा कंपनी छोड़ दी और केमिकल डिस्ट्रीब्यूशन का व्यवसाय शुरू किया. डाक सेवा संबंधी समस्याओं के कारण यह विफल हो गया. सुभाशीष ने पाया कि डाक सेवाओं और ग्राहकों के बीच बहुत बड़ा अंतर है. यही उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था. इसके बाद उन्होंने 26 जुलाई 1990 को अपनी कूरियर कंपनी DTDC की स्थापना की. DTDC का मतलब है डेस्क टू डेस्क कूरियर एंड कार्गो.
गहने बेचकर बिजनेस जारी रखा
जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि कूरियर सेवाओं की मांग छोटे शहरों में ज्यादा है. 1990 में 20,000 रुपये के निवेश से शुरू हुए इस व्यवसाय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. बैंकों ने वेंचर कैपिटल की कमी के कारण लोन देने से मना कर दिया. हालांकि, उन्होंने अपनी मां के गहने बेचकर व्यवसाय जारी रखा.
1991 में, सुभाशीष ने एक गेम-चेंजिंग आइडिया की खोज की, फ्रैंचाइज मॉडल. क्षेत्रों को जोन में विभाजित किया और एक क्षेत्रीय शाखा 30 फ्रैंचाइज का प्रबंधन करती थी. फ्रैंचाइज आइडिया कामयाब रहा और कारोबार फला-फूला.
14000 पिन कोड तक सर्विस
वर्तमान में, कंपनी 14,000 पिन कोड को कवर करती है. यह खुदरा ग्राहकों और व्यवसायों दोनों के लिए डिलीवरी सेवाएं प्रदान करती है. साथ ही, दुनिया भर में 220 गंतव्यों में इसकी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति है. इसके प्रमुख क्लाइंट में विप्रो, इंफोसिस और टाटा समूह शामिल हैं.
2006 तक, कंपनी के पास 3,700 फ्रैंचाइजी और 125 करोड़ रुपये का राजस्व था. साथ ही, इसे रिलायंस कैपिटल से 70 करोड़ रुपये का निवेश मिला, जिससे यह 180 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई.
2010 तक, बिक्री 450 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. 2013 में, DTDC ने निकोस लॉजिस्टिक्स में 70% हिस्सेदारी हासिल की और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए भारत का पहला डिलीवरी नेटवर्क DotZot स्थापित किया. 2015 में, उन्होंने हैदराबाद में एक स्वचालित लॉजिस्टिक्स हब की स्थापना की.
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