राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 9 मार्च को करेगा सुनवाई
राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर संरक्षण देने की मांग वाली अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 9 मार्च को सुनवाई करेगा. दरअसल, आज बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने CJI की बेंच से अपनी अर्जी पर जल्द सनवाई की मांग की, जिसके बाद चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मामले को 9 मार्च के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.
नई दिल्ली: राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर संरक्षण देने की मांग वाली अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 9 मार्च को सुनवाई करेगा. दरअसल, आज बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने CJI की बेंच से अपनी अर्जी पर जल्द सनवाई की मांग की, जिसके बाद चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मामले को 9 मार्च के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया. गौरतलब है कि UPA के शासन में सेतु समुद्रम परियोजना (जहाजों के लिए रास्ता बनाने) के लिए राम सेतु तोड़ा जाना था लेकिन बाद में यह कार्रवाई रुक गई थी.
साल 2018 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था हलफनामा
साल 2018 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकायें लंबित हैं, जिसमें सेतुसमुद्रम परियोजना के वर्तमान मार्ग को रामसेतु को तोड़े जाने और पर्यावरण को नुकसान होने के आधार पर चुनौती दी गई है. इनमें से एक अर्जी बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की है जिसमें विशेषतौर पर परियोजना को रामसेतु तोड़े जाने के आधार पर चुनौती दी गई है. स्वामी ने अपनी अर्जी में कहा है कि राम सेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है. इसे न तोड़ा जाए और राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए.
साल 2008 में यूपीए सरकार के हलफनामे पर मचा था भारी हंगामा
इससे पहले साल 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस मामले में हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को तोड़ कर तय वर्तमान मार्ग से ही लागू किये जाने पर जोर देते हुए कहा था कि भगवान राम के अस्तित्व में होने के बारे में कोई पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं. ये भी कहा था कि रामायण महज कल्पित कथा है. यूपीए सरकार के इस हलफनामे पर काफी हंगामा हुआ था जिसके बाद आनन-फानन में सरकार ने अपना वह हलफनामा कोर्ट से वापस ले लिया था.
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