नई दिल्ली: किताबें पढ़ना सबसे अच्छी आदतों में से एक मानी जाती है. इससे आपको किसी भी चीज का ज्ञान आसानी से मिल जाता है. दुनियाभर में हर साल की तरह की किताबें पढ़ीं जाती हैं. वहीं सालभर में कई किताबें पब्लिश भी होती हैं. किताबों को लेकर पाठकों की अपनी-अपनी राय या प्रतिक्रिया होती है. वहीं कई किताबें ऐसी होती हैं, जो लोगों के बीच विवाद भी खड़ी कर दी जाती हैं. भारत में कुछ ऐसी ही विवादस्पद किताबों को बैन कर दिया गया है. अगर आप इन किताबों को पढ़ने की हिमाकत करते हैं तो आपको इसका नतीजा भुगतना पड़ सकता है. 


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इन 4 किताबों पर लगा है बैन 


द हिंदूजः एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री
पेंगुइन इंडिया ने वेंडी डोंनिगर की किताब 'द हिंदूजः एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री' पर धार्मिक संगठनों के विरोध के चलते बैन लगा दिया था. इस किताब को बैन करने के लिए शिक्षा बचाओ आंदोलन संस्था के अध्यक्ष दीनानाथ बत्रा ने अभियान छेड़ा था. 


द सतैनिक वर्सेस, सलमान रश्दी 
दुनिया के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में शुमार सलमान रश्दी की इस किताब को भारत में बैन किया गया है, हालांकि भारत में बैन होने वाली इस किताब को ब्रिटेन में काफी सराहना दी गई थी. यहां तक कि इस किताब को बुकर प्राइज के लिए नॉमिनेट भी किया गया था. बता दें कि इस किताब को बैन करने का कारण किताब में इस्लाम धर्म का अपमान किया जाना बताया गया है.  


लेडी चैटर्लीज लवर, डी एच लॉरेंस 
डी एच लॉरेंस की इस किताब को भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान बैन कर दिया गया था. साल 1960 में तो ब्रिटेन इससे बैन हटा दिया था, लेकिन भारत में यब किताब आज भी बैन है. बता दें कि  'लेडी चैटर्लीज लवर' एक शादी-शुदा महिला की कहानी है, जिसका पति कमर से नीचे पैरलाइज हो जाता है, जिसके बाद उसका दूसरे आदमी के साथ एक्सट्रामैरिटल अफेयर चलता है. 


द फेस ऑफ मदर इंडिया, कैथरीन मेयो  
अमेरिकी इतिहासकार और नेटिविस्ट कैथरीन मेयो कि किताब 'द फेस ऑफ मदर इंडिया' भारत में पूरी तरह से बैन है. माना जाता है कि इस किताब में लेखिका ने भारत के खिलाफ कई आपत्तिजनक बातें लिखी हैं. उन्होंने इस किताब में भारत के पुरुषों और यहां कि संस्कृति को कमजोर बताया है.   


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