नई दिल्ली.  याद रखिये - डर के पहले जीत है. डर कर भागिए नहीं, डर कर बचिए. डर की स्थिति पैदा होने के पहले ही यदि आप सावधान हो गए तो डर आपके लिए नहीं है. कोरोना के प्रति अनजाने में हो रही लापरवाही को लेकर इस आलेख का ये अंतिम भाग है.   


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बेवजह घूमने की जरूरत क्या है


सबसे पहले तो समझ लीजिये कि आज की तारीख में बेवजह घूमना बेवजह जान देने के बराबर है. अगर हम कहें कि बेवजह मरने की जरूरत क्या है तो इसका जवाब शायद ही किसी के पास हो. इस बात को बिलकुल न भूलें कि भले ही ये कोरोना काल एक साल चले या दो साल - इस पूरे कोरोना काल में आपको कोरोना से अपना बचाव सुनिश्चित करना है तो इसके लिये आपको घर से बाहर नहीं निकलना है. अगर आपकी नौकरी या व्यवसाय आपसे घर से बाहर निकलने की मांग करते हैं तो और बात है किन्तु तब आपको सावधानी के हर मोर्चे पर डट कर मुस्तैद रहना होगा. 


बाहर अपनी गतिविधियों पर रखें नज़र 


आज देश के आसमानी कोरोना मामलों को देख कर कहा जा सकता है कि आप ज्यों ही घर से बाहर निकलते हैं कोरोना आप पर निगाहें गड़ा लेता है. कोरोना वायरस आपकी हर गतिविधि पर नज़र रखता है जो घर से बाहर आकर आप कर रहे हैं. इस दौरान ही आपकी एक छोटी सी भूल पड़ सकती है आप पर भारी और आप पर हो सकती है कोरोना की सवारी. 



 


कुछ भी न छुएं 


ये गाना याद रखें - कुछ न छुओ, कुछ भी न छुओ, क्या छूना है.. कहने का तातपर्य है कि हर वो चीज़ जो आप के रास्ते में आएगी आपके लिए खतरा लाएगी. आपको सिर्फ उस चीज़ से मतलब रखना है जिससे आपका मतलब है. जैसे आपके ऑफिस में आपका कंप्यूटर या आपकी दूकान में आपकी कुर्सी, आपका गल्ला वगैरह या फिर एक यात्री के तौर पर बस या ट्रेन की सीट. इन चीज़ों के अलावा कुछ भी और छूना कोरोना को दावत दे सकता है. 


कुछ भी न खाएं-पियें 


बाहर कुछ नहीं खाना है और बाहर का भी कुछ नहीं खाना है. खाने-पीने की हर चीज़ आपके घर की होनी चाहिए तब आप उसे घर के बाहर खा सकते हैं. किन्तु उस समय भी खाने से पहले आपको अपने हाथों को बीस सेकंड तक साबुन से रगड़ के धोना है. इसी तरह अगर घर से बाहर आपको कोई दवा भी खानी है तो उसे छूने से पहले आपको अपने हाथ धोने ही हैं. 


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