नई दिल्ली: मृत्यु से हर किसी को डर लगता है. शायद ही कोई व्यक्ति हो, जो मौत का नाम सुनकर कुछ पल के लिए सिहर न जाए, हालांकि हाल ही में सामने आए कुछ शोधों से पता चलता है कि व्यक्ति मौत के जितना करीब आता है वह उतना ही ज्यादा सुख को अनुभव करता है. साइकोलॉजिकल साइंस की ओर से किए गए एक शोध से पता चलता है कि मौत के करीब पहुंचने वाले लोग जीवन के प्रति ज्यादा सकारात्मक होते हैं.  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मृत्यु से पहले खुशी का अनुभव 
साइमन बोआस नाम के एक कैंसर पेशेंट की 15 जुलाई 2024 को 47 साल की उम्र में निधन हो गया था. साइमन ने मरने से पहले 'BBC' को इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने बताया,' मेरा दर्द अब नियंत्रण में है और मैं बेहद खुश हूं. ये कहना थोड़ा अजीब है, लेकिन मैं अब उतना खुश हूं जितना पहले कभी अपने जीवन में नहीं था.' उन्होंने कहा,' यह अजीब लग सकता है कि कोई व्यक्ति मृत्यु के करीब आने पर खुश कैसे रह सकता है, लेकिन एक क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के रूप में अपने जीवन के अंत में लोगों के साथ काम करने के मेरे अनुभव में यह इतना असामान्य नहीं है.' 


मृत्यु के करीब पहुंचने पर सकारात्मक होते हैं लोग
'जर्नल स्टोरेज' में पब्लिश एक साइकोलॉजिकल साइंस की स्टडी के मुताबिक मृत्यु के करीब पहुंचने वाले लोग मृत्यु की मात्र कल्पना करने वालों के मुकाबले जीवन के प्रति अनुभव को साझा करने के लिए ज्यादा सकारात्मक भाषा का इस्तेमाल करते हैं. इससे साफ पता चलता है कि मृत्यु को लेकर हम जितनी कल्पना करते हैं यह उस मुकाबले ज्यादा सुखद या कम से कम अप्रिय है. कई शोधों का मानना है कि मृत्यु का डर मनुष्य के अचेतन केंद्र में है. विलियम्स जेम्स नाम के एक अमेरिकी फिलॉस्फर ने इसे मानव स्थिति का मूल बताया है. 


मृत्यु को स्वीकारने से बढ़ती है सकरात्मकता 
'BBC' के साथ अपने इंटरव्यू में साइमन बोआस ने कहा कि मृत्यु को स्वीकार करने से जीवन के प्रति हमारी सराहना बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि जीवन का आनंद लेने और इसके सार्थक अनुभवों को प्राथमिकता देने से उन्हें अपनी स्थिति को स्वीकार करने में मदद मिली. दर्द और कठिनाईयां झेलने के बाद भी बोआस खुश रहते थे. उन्हें उम्मीद थी कि उनका ये रवैया उनके माता-पिता और पत्नी के लिए आने वाले कठिन समय में उन्हें काफी मदद करेगा. बोअस ये शब्द रोमन सेनेका की याद दिलाते हैं, जिन्होंने कहा था,' लंबे समय तक जीवित रहना हमारे दिनों या सालों पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि यह हमारे दिमाग पर निर्भर करता है.' 


ये भी पढ़ें- 25 July: भारत के 10 राष्ट्रपतियों ने 25 जुलाई को ही ली शपथ, इस तारीख में ऐसा क्या खास?


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.