अकेलेपन से गुजर रही महिलाओं में बढ़ती है शुगर की क्रेविंग्स, इस स्टडी में हुआ खुलासा
`डेली मेल` में छपी इस रिसर्च को लेकर लॉस एंजलीस स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने कहा कि अनहेल्दी ईटिंग हैबिट और नकारात्मक मानसिक लक्षण के बीच संबंध को बताता है.
नई दिल्ली: हाल ही में सामने आई एक रिसर्च के मुताबिक महिलाएं जब अकेला महसूस करती हैं तब उन्हें मीठे की क्रेविंग महसूस होती है. यह उनके लिए इमोशनल पेन किलर का काम करता है, जो यह समझने में मदद करता है कि कंफर्ट फूड खाने के लिए हमें क्या प्रेरित करता है.
अकेलेपन को दूर करता है मीठा
'डेली मेल' में छपी इस रिसर्च को लेकर लॉस एंजलीस स्थित 'कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी' के विशेषज्ञों ने कहा कि अनहेल्दी ईटिंग हैबिट और नकारात्मक मानसिक लक्षण के बीच संबंध को बताता है. रिसर्च के लीड ऑथर डॉक्टर जियाओबेई झांग ने कहा,' मीठा खाने की क्रेविंग होने पर आप और भी ज्यादा भोजन खाने लगते हैं. ऐसे में चिंता और डिप्रेशन की समस्या बढ़ सकती है, जो आपको और भी ज्यादा खाने के लिए प्रेरित कर सकता है.' 'JAMA नेटवर्क ओपन' की एक रिसर्च में शामिल डॉक्टर अर्पणा गुप्ता के मुताबिक अभी इस बात पर रिसर्च नहीं किया गया है कि हमारा मीठा ब्रेन अकेलेपन को कैसे प्रोसेस करता है और यह कैसे मोटापे और स्वास्थय परिणामों से संबंधित है.
रिसर्च में हुआ ये खुलासा
बता दें कि 'कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी' की इस रिसर्च में 93 महिलाओं को शामिल किया गया. इन महिलाओं से उनके अकेलेपन और अलगाव के दौरान उनकी डाइट हैबिट्स को लेकर पूछताछ की गई. वहीं उनके शरीर में फैट का अनुमान लगाने के लिए बॉडी कंपोजिशन टेस्ट किया गया. इस दौरान रिजल्ट में समाने आया कि जो महिलाएं सामाजिक रूप से अलग रह रही हैं उनमें बॉडी फैट, खराब डाइट और क्रेविंग की खूब समस्या थी. रिसर्च के मुताबिक सबसे अकेले रहने वाली महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या भी थी. इन महिलाओं को मीठे और नमकीन फूड की तस्वीरें दिखाई गईं. फोटोज को दिखाते समय MRI स्कैन से उनकी ब्रेन एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया गया. इस दौरान पाया गया कि इन महिलाओं में शुगर की क्रेविंग बढ़ी थी.
एनाल्जेसिक प्रभाव डालता है शुगर
रिसर्चर्स ने कहा कि शुगरयुक्त फूड्स नमकीन फूड्स की तुलना में हमारे दिमाग में ज्यादा स्पष्ट और व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं. शुगरयुक्त फूड बेहद फायदमेंद होते हैं. ये हमारे उपर एनाल्जेसिक प्रभाव डालते हैं, जिसमें हम सामाजिक बहिष्कार से जुड़े सामाजिक दर्द को कम कर सकते हैं, हालांकि वैज्ञानिकों ने यह भी चेताया है कि ज्यादा अकेले रहना स्मोकिंग और मोटापे से होने वाले नुकसान जितना ही खतरनाक है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी रिसर्च पर आधारित है, लेकिन Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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