सिरोही: सिरोही जिले के अंतर्गत दीवाल और खानपुर गांव के नौनिहाल सर्दी के मौसम में ठिठुर रहे हैं. क्योंकि उनकी कक्षाएं खुले आसमान के नीचे लग रही हैं. हरियाणा सरकार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को हर सुविधा देने की बात तो करती है, लेकिन गांव दीवाल व खानपुर के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की स्थिति देखकर दिल दहल जाता है. 


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जर्जर स्कूल इमारत गिरा दी गई 
गांव दीवाल के इस स्कूल में 14 कमरे दिसम्बर माह में जर्जर घोषित कर दिए गए थे. जहां पर बच्चों का बैठना खतरे से खाली नहीं था. इसीलिए 15 अप्रैल 2019 को इन कमरों के गिराने के बाद मलबे की बोली करवा दी गई. 


इसके बाद स्कूल की तरफ से 16 नए कमरों की डिमांड शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजी गई थी. लेकिन 3 माह पहले 14 जर्जर घोषित करके गिरा दिए गए कमरों की जगह नए कमरों के निर्माण की अनुमति अभी तक नहीं आई है. 


इसी कारण से कड़ाके की सर्दी में भी सैकड़ों बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पढऩे को मजबूर हो रहे हैं. 


सरकारी प्रक्रिया में हो रही है देर
बताया जा रहा है कि नए कमरों के निर्माण की फाइल PWD तथा B&R विभाग में धूल फांक रही है.  स्कूल के ही किसी व्यक्ति में ग्राउंड वह बरामदे में बैठे बच्चों की फोटो को वायरल कर दिया था. जिसके बाद ये मामला मीडिया के संज्ञान में आया था. लेकिन जब मामले की कवरेज के लिए मीडिया अपने कैमरों के साथ स्कूल पहुंचा तो स्कूल के अध्यापकों ने सभी बच्चों को आनन-फानन में ग्राउंड से उठा दिया. 


दीवाल गांव के सरपंच जगदीश राठी ने बताया कि कड़ाके की ठंडे में बच्चे बाहर बैठकर पढऩे को मजबूर हैं.  नए कमरों के जल्द निर्माण के लिए हम शिक्षामंत्री राम बिलास शर्मा से मिले थे.  शिक्षामंत्री ने कमरों के निर्माण के लिए अनुमानित राशि जारी करने के लिए विभाग के डायरेक्टर को आदेश दिए थे.  इसके बाद हमले शिक्षा विभाग के डायरेक्टर से मिले तो उन्होंने एस्टीमेट बनाने के लिए PWD तथा B&R विभाग के उच्चाधिकारियों को कहा था.  इसके बाद से यह फाइल यहीं पर अटकी हुई है. 


सिरोही जिला के मौलिक शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने बताया कि गांव दीवाल में 16 कमरे नए निर्माण के लिए उच्चाधिकारियों को 1 करोड़ रुपए का बजट बनाकर भेजा गया है.  जैसे ही बजट आ जाएगा वैसे ही कमरों का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा. 


लेकिन ये सरकारी प्रक्रिया पता नहीं कब तक पूरी होगी, तब तक कड़कड़ाती ठंड में बच्चे खुले में पढ़ने के लिए मजबूर होते रहेंगे. 


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