नई दिल्ली: कोका-कोला को खरीदने का दावा दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने किया है, लेकिन क्या आपको ये मालूम है कि कोका कोला की शुरुआत कैसे, कब और कहां हुई थी? इस ड्रिंक को किसने बनाया था और इसे बनाने का क्या फॉर्मूला तैयार किया गया था? ये कहानी है एक घायल और नशेड़ी फौजी की..


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घायल फौजी ने तैयार किया था अनोखा फॉर्मूला


सालों तक उसने मेहनत की और उसके बाद कोका-कोला का फॉर्मूला तैयार हुआ. दरअसल ये फौजी नशे का आदी हो चुका था. हुआ कुछ यूं, घायल फौजी अपने दर्द को कम करने के लिए ड्रग्स लेने लगा. धीरे-धीरे उसे नशे की लत लग गई, अपनी इसी लत को छुड़ाने के लिए उसने इसका विकल्प तैयार करने की कोशिश की. विकल्प खोजते खोजते उसने एक ड्रिंक बनाई, इसी का नाम कोका-कोला पड़ गया.


पूरी दुनिया में अपने टेस्ट के लिए ये ड्रिंक (Coca-Cola) मशहूर है. इसे एक घायल फौजी ने बनाया था. साल था 1865, जब अमेरिका में गृहयुद्ध के दौरान जॉन पेम्बर्टन नाम का एक लेफ्टिनेंट कर्नल बुरी तरह घायल हो गया. उसी ने कोका-कोला तैयार किया था.


मई 1886 में तैयार हुई थी ये ड्रिंक


आपको सबसे पहले उस फौजी के बारे में बताते हैं, जिसका नाम जॉन पेम्बर्टन है. फौज में जाने से पहले पेम्बर्टन फार्मेसी का काम किया करता था. वो लगातार तरह-तरह के ड्रग्स का विकल्प ढूंढने के लिए शोध करता रहता था. जब वो घायल हुआ और उसके बाद उसे नशे की लत लग गई, तो उसने अपने नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए कोशिशें करनी शुरू कर दी.



सालों तक उसने कोशिशें की, लेकिन उसे सफलता हासिल नहीं हुई. इसी बीत उसे एक साथी मिला, उसका नाम फ्रैंक रॉबिन्सन था. दोनों ने साथ मिलकर एक केमिकल कंपनी शुरू कर दी. यहां भी पेम्बर्टन ने ड्रिंक बनाने की कोशिश की. मई का महीना और साल 1886.. आखिरकार उसने एक तरल पदार्थ (ड्रिंक) तैयार कर लिया. इसमें सोडा मिलाया और लोगों को टेस्ट कराया. लोगों को ये ड्रिंक काफी पसंद भी आई.


और ऐसे नाम पड़ा कोका-कोला..


इस ड्रिंक में कोरा अखरोच से कोका पत्ती और कैफीन वाले सिरप को मिला कर बनाया गया और पेम्बर्टन के साथी फ्रैंक ने इसका नाम कोला-कोला रख दिया. शुरुआत में इसकी कीमत 5 सेंट प्रति ग्लास रखी गई. 8 मई 1886 को पहली बार जैकब फार्मेसी पर इसे बेचा गया.


शुरू-शुरू में इलरी बिक्री काफी कम थी. पहले साथ का आंकड़ा सामने आया तो पता चला कि कोका-कोला की बिक्री हर दिन सिर्फ 9 ग्लास हुई थी. ऐसे में कंपनी को भारी नुकसान झेलना पड़ा. पहले साल यदि लागत की बात करें तो 70 डॉलर का खर्च आया था, जबकि कमाई सिर्फ 50 डॉलर हुई.


एक साल बाद ही बिक गया फॉर्मूला


2300 डॉलर की कीमत देकर अटलांटा के एक फार्मासिस्ट बिजनेसमैन आसा ग्रिग्स कैंडलर ने एक साल बाद ही वर्ष 1887 में फॉर्मूले को खरीद लिया. मतलब ये कि कोका कोला बनाने वाले पेम्बर्टन के पास उनका ये फॉर्मूला ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाया.


अब बिजनेस को फैलाने के लिए कैंडलर ने एक गजब की तरकीब निकाली. कोका-कोला की लत लोगों में लगाने के लिए उन्होंने फ्री कूपन बांटने शुरू किए. फिर क्या था, इसका स्वाद लोगों को पसंद आने लगा और देखते ही देखते ये दुनिया भर में मशहूर हो गया.


तीन साल में बना अमेरिका का सबसे लोकप्रिय


कैंडलर ने कोका-कोला के विज्ञापन पर भी खूब काम किया. कस्टमर्स को अपनी ओर खींचने के लिए उन्होंने कई अनोखे तरीके अपनाए. यही वजह थी कि वर्ष 1890 तक कोका-कोला अमेरिका का सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थ बन गया. लोग सिर दर्द की दवा के रूप में इस ड्रिंक का सेवन करने लगे. इतना ही नहीं थकान दूर करने के लिए भी कोका-कोला पीने की होड़ मच गई. आज दुनिया भर में करीब दो अरब से अधिक इसकी बोतलें रोज बिकती हैं.


भारत में कोका-कोला ने वर्ष 1950 में अपना परिचालन शुरू किया था. लेकिन एक वक्त ऐसा आया कि भारत सरकार के नियमों के विरोध में उसे देश से बाहर जाना पड़ा. ये साल था 1977.. हालांकि एक बार फिर कोका-कोला की वापसी हुई. 24 अक्टूबर 1993 में कोका कोला ने भारतीय बाजार में वापसी कर लिया. कई उतार-चढ़ाव के दौर आए, लेकिन कंपनी चलती रही.


'ठंडा मतलब कोका-कोला' ऐसे न जाने कितने टैगलाइन के साथ भारत में कोका-कोला का विज्ञापन चलाए जाते रहे हैं. उसकी पकड़ काफी मजबूत हो गई. कई बार तो कोका-कोला को लेकर विवाद भी उठे, कोर्ट में भी मामला गया. लेकिन अभी भी भारत में कोका-कोला ने बड़ा व्यापार स्थापित कर रखा है. आपको बता दें, आज भी क्यूबा और नार्थ कोरिया में कोका कोला पर प्रतिबंध लगा हुआ है.


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