PM भागे या बिजनेसमैन... भगोड़ों के लिए `लंदन` क्यों सबसे सुरक्षित अड्डा?
शेख हसीना ऐसी पहली नेता नहीं हैं, जो निर्वासित होने के बाद इंग्लैंड का रुख करेंगी. शेख हसीना से पहले पाकिस्तान के कई नेता और भारत के भी कई भगोड़े बिजनेस ने इंग्लैंड में पनाह ले रखी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पनाह लेने के लिए हर भगोड़ों की पसंद लंदन ही क्यों है?
नई दिल्लीः Bangladesh Military Coup: पिछले कुछ महीनों से पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में फैली आरक्षण की आग ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. सोमवार 5 अगस्त को शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. इस्तीफे के बाद शेख हसीना अपना देश छोड़कर भारत भाग आईं. इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि वे पनाह लेने के लिए भारत से लंदन जा सकती हैं. हालांकि, अभी तक लंदन की ओर से उन्हें इजाजत नहीं मिली है.
कई नेता और उद्योगपति ले चुके हैं लंदन में शरण
गौरतलब है कि शेख हसीना ऐसी पहली नेता नहीं हैं, जो निर्वासित होने के बाद इंग्लैंड का रुख करेंगी. शेख हसीना से पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और बेनजीर भुट्टों के अलावा और भी कई नेताओं ने अपने देश से निर्वासित होने के बाद इंग्लैंड में शरण ली थी. इसके अलावा भारत के कई भगोड़े बिजनेस जैसेः ललित मोदी, विजय माल्या और नीरव मोदी से लेकर मेहुल चोकसी ने इंग्लैंड में पनाह ले रखी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पनाह लेने के लिए हर भगोड़ों की पसंद लंदन ही क्यों है?
हर भगोड़े की पहली पसंद क्यों है इंग्लैंड
बता दें कि हर भगोड़े की पहली पसंद लंदन होने के पीछे की वजह वहां का सख्त ह्यूमन राइट्स एक्ट है. रिपोर्ट्स की मानें, तो ब्रिटेन में किसी शख्स को शरणार्थी के रूप में तभी रहने दिया जाता है, जब वह अपने देश में सुरक्षित न महसूस कर रहा हो. साथ ही उसे अपने देश में उत्पीड़न का का डर हो. इसके बाद इंग्लैंड अपने शरणार्थियों के हितों की रक्षा करता है और उन्हें उनके देश वापस जाने के लिए मजबूर नहीं करता है.
इंग्लैंड के उपनिवेश रह चुके हैं ये देश
साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत इंग्लैंड के उपनिवेश रह चुके हैं. इन देशों की कानून प्रणाली कई हद तक एक जैसी है. लिहाजा इन देशों के कानूनी जानकार दोनों देशों के कानून व्यवस्था को बहुत अच्छे से जानते हैं. ऐसे में भागकर गए शख्स को बहुत लाभ मिलती है.
कानूनी वजहों के अलावा एक वजह इंग्लैंड में इन देशों के बहुसंख्य आबादी का होना भी है. रिपोर्ट्स की मानें, तो लंदन के बहुत सारे इलाके इन देशों के कुछ इलाकों से मेल खाते हैं. ऐसे में इंग्लैंड के माहौल में उन्हें घुलने-मिलने में देरी नहीं होती है.
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