नई दिल्ली,Bangladesh Anti Government Protest: बांग्लादेश हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर विरोध अब भयानक रूप लेता जा रहा है. गुस्स्याए छात्र अब नेता और पुलिस को ढूंढ-ढूंढकर जान से मारने को उतारू हो गए हैं. हिंसा का दौर शुरू होने के बाद प्रदर्शनकार‍ियों ने सिराजगंज के थाने पर हमला बोल दिया और 14 पुलिसकर्मियों की पीट-पीटकर बेरहमी से हत्या कर दी है. 


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वहीं  6 नेता और कार्यकर्ताओं, 6 पत्रकार समेत 100 लोगों को भी प्रदर्शनकारियों ने मौत के घाट उतार दिया है. सरकारी नौकरियों में आरक्षण का विरोध अब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे तक पहुंच गई है. प्रदर्शनकारी अब पीएम शेख हसीना से इस्तीफे की मांग को लेकर जमकर बवाल कर रहे हैं. 



क्यों जल रहा बांग्लादेश?
हिंसा की आग में झुलस रहे बांग्लादेश का हाल अब बद से बद्तर होता जा रहा है. सरकारी नौकरियों में आरक्षण की आग अब प्रधानमंत्री के इस्तीफे तक पहुंच गई है.  प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे को लेकर प्रदर्शनकारी उग्र हो गए हैं और इस दौरान वो पुलिसकर्मियों, नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं को ढूंढ-ढूंढकर उनकी हत्या कर रहे है. अभी तक बवाल मचा रहे प्रदर्शनकारियों ने 14 पुलिसकर्मियों समेत 6 नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी है. 


भारत में जारी की एडवाइजरी  
अभी तक इस उग्र प्रदर्शन में करीब 100 लोगों की जान जा चुकी है. खुलना, चटगांव और ढाका से शुरू हुए इस आंदोलन की आग में एबीएन पूरा बबांग्लादेश जल रहा है. इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने  बांग्लादेश की यात्रा को लेकर एडवाइजरी जारी की है. जैर की गई इस एडवाइजरी के मुताबिक बांग्लादेश में रहने वाले भारतीयों को ढाका स्थित उच्चायोग से संपर्क में रहने की सलाह दी गयी है.


छात्रों की क्या मांग?
दरअसल, ये हिंसा आरक्षण को लेकर हो रही है. यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स की मांग है कि वॉर हीरोज के बच्चों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए. वॉर हीरोज वे सैनिक हैं, जो 1971 के मुक्ति युद्ध का हिस्सा थे. छात्रों की मांग है कि इनके बच्चों को सरकारी नौकरियों में दिए जाने वाला एक-तिहाई आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए.


आरक्षण के मुद्दे पर बने दो गुट
आंदोलन हिंसक तब हुआ, जब आरक्षण को लेकर दो गुट बने. एक गुट वॉर हीरोज के बच्चों को आरक्षण के पक्ष में, जबकि दूसरा गुट इसके विरोध में उतरा हुआ है. अब दोनों गुटों में कहीं पत्थर चले हैं तो कहीं लाठियां. इस तरह इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया.


बांग्लादेश में किसको कितना आरक्षण?
बांग्लादेश में वॉर हीरोज के बच्चों को आरक्षण का फायदा मिलता है. 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वालों के बच्चों और पोते-पोतियों को सरकारी नौकरी में 30% आरक्षण मिलता है. बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में कुल आरक्षण 56% है. इसमें 30 फीसदी के अलावा, महिलाओं को 10%, अविकसित जिलेवासियों के लिए 10%, स्वदेशी समुदाय के लिए 5% और विकलांगों के लिए 1% आरक्षण की व्यवस्था है. 


हाईकोर्ट के फैसले से नाराज छात्र
गौरतलब है कि साल 2018 शेख हसीना की सरकार ने विरोध प्रदर्शन को देखते हुए आरक्षण व्यवस्था खत्म कर दी थी. लेकिन जून, 2024 में ढाका हाईकोर्ट ने इसे वापस लागू कर दिया. इसके बाद से ही बांग्लादेश में फिर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.


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