समुद्र पर ऐसे कब्जा कर रहा है चीन, देखिए सबूत
हाल ही में खबर आई कि भारत की समुद्री सीमा के नजदीक चीन एक कृत्रिम द्वीप बना रहा है. ये भारत से सिर्फ 20 मिनट की हवाई दूरी पर है. जो कि भारत के लिए खतरा है. आईए आपको बताते हैं कि समुंदर में चीन कैसे साजिश कर रहा है.
नई दिल्ली: चीन भारत को हर तरफ से घेरना चाहता है. इसलिए लक्षद्वीप से मात्र 600 किलोमीटर की दूरी पर चीन एक कृत्रिम द्वीप का निर्माण कर रहा है. इसका खुलासा हाल ही में हुआ है. ये चीन का एक पुराना विस्तारवादी तरीका है. जिसमें वह समुद्र के बीच में मलबा भर कर कृत्रिम द्वीप बनाता है और अपनी सीमा का विस्तार करता है. इसके पहले भी चीन इस तरह की हरकतें कर चुका है.
कुछ ऐसे कृत्रिम द्वीप बनाता है चीन
चीन की नीति हमेशा से विस्तारवादी रही है. जमीन तो एक तरफ छोड़िए वह समुद्र को भी नहीं छोड़ता. दक्षिण चीन सागर(south china sea) में वह इसी तरह कई कृत्रिम द्वीप बना चुका है. कुछ साल पहले इस इलाके में प्राकृतिक रुप से कई छोटे द्वीप थे. लेकिन चीन ने मलबे से भरे हुए कई जहाज भेजे और इन द्वीपों के इर्द गिर्द मलबा गिराना शुरु कर दिया.
चीन की नीति हमेशा से विस्तारवादी रही है. जमीन तो एक तरफ छोड़िए वह समुद्र को भी नहीं छोड़ता. दक्षिण चीन सागर(south china sea) में वह इसी तरह कई कृत्रिम द्वीप बना चुका है. कुछ साल पहले इस इलाके में प्राकृतिक रुप से कई छोटे द्वीप थे. लेकिन चीन ने मलबे से भरे हुए कई जहाज भेजे और इन द्वीपों के इर्द गिर्द मलबा गिराना शुरु कर दिया.
सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से साफ समझ में आता है कि किस तरह चीन ने अपनी घटिया इरादों की पूर्ति के लिए समुद्र को माध्यम बनाया. ये तस्वीरें तब की हैं जब चीन ने दक्षिण चीन सागर में मलबा भरकर कृत्रिम द्वीप बनाने शुरु किए थे.
चीन ने अपने इलाके से कचरा - कूड़ा, रेत, बजरी, मलबा, कंक्रीट को जहाजों के जरिए ढोकर इन प्राकृतिक द्वीपों के इर्द गिर्द गिराना शुरु किया. जिसकी वजह से ये प्राकृतिक द्वीप कृत्रिम रुप से बड़े होने लगे.
इन तस्वीरों में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि कैसे चीन समुद्र में विस्तारवादी नीति अपनाता रहा है.
चीन की ये हरकत ना केवल समुद्री कानूनों का उल्लंघन है. बल्कि पर्यावरण को भी प्रदूषित करने वाली है. क्योंकि बरसों से अछूते इन समुद्री इलाकों में कई तरह के जलीय जीव और समुद्री वनस्पति पाई जाती थी. लेकिन चीन की इस घटिया हरकत की वजह से सब कुछ नष्ट हो गया.
कृत्रिम द्वीपों के जरिए समुद्र पर नियंत्रण चाहता है चीन
समुद्र चीन की कमजोरी है. चीन को अपने इलाके में पेट्रोलियम और माल पहुंचाने के लिए भारत की समुद्री सीमा से गुजरना पड़ता है. भारत की समुद्री सीमा दुनिया में सबसे ज्यादा है. क्योंकि हमारे देश की भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है. ऐसे में चीन को ये खतरा रहता है कि किसी भी तनाव की स्थिति में उसका समुद्री आवागमन और व्यापार पूरी तरह ठप हो सकता है. इसलिए चीन ने मलबा गिराकर समुद्र में कृत्रिम द्वीप बनाने शुरु किए.
समुद्र चीन की कमजोरी है. चीन को अपने इलाके में पेट्रोलियम और माल पहुंचाने के लिए भारत की समुद्री सीमा से गुजरना पड़ता है. भारत की समुद्री सीमा दुनिया में सबसे ज्यादा है. क्योंकि हमारे देश की भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है. ऐसे में चीन को ये खतरा रहता है कि किसी भी तनाव की स्थिति में उसका समुद्री आवागमन और व्यापार पूरी तरह ठप हो सकता है. इसलिए चीन ने मलबा गिराकर समुद्र में कृत्रिम द्वीप बनाने शुरु किए.
चीन की मंशा दक्षिण चीन सागर की तरह लक्षद्वीप के पास ही अपना सैन्य अड्डा बनाने की है.
ये स्थिति भारत लिए खतरनाक
चीन की ये विस्तारवादी नीति भारत के लिए खतरनाक है. मालदीव के पास कृत्रिम द्वीप बनाने से भारत की समुद्री सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. चीन भारत से 684 किलोमीटर की दूरी पर एक कृत्रिम द्वीप तैयार कर रहा है. इन तस्वीरों को ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनॉलिस्ट Detresfa ने जारी किया है.
चीन की ये विस्तारवादी नीति भारत के लिए खतरनाक है. मालदीव के पास कृत्रिम द्वीप बनाने से भारत की समुद्री सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. चीन भारत से 684 किलोमीटर की दूरी पर एक कृत्रिम द्वीप तैयार कर रहा है. इन तस्वीरों को ओपन सोर्स इंटेलिजेंस एनॉलिस्ट Detresfa ने जारी किया है.
चीन का इस इलाके में कोई भी वैधानिक अधिकार नहीं है. ये इलाका मालदीव का है. जिन्हें चीन ने मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल के दौरान 2016 में 4 मिलियन डॉलर में लीज पर हासिल किया था. लेकिन वह यहां पर किसी तरह का स्थायी निर्माण नहीं कर सकता.
लेकिन मालदीव चीन के कर्ज के नीचे दबा हुआ है. वह चीन की करतूतों का विरोध नहीं कर पा रहा है. ऐसे में भारत सरकार को उचित कदम उठाकर चीन को काबू में लाना पड़ेगा.