नई दिल्ली.   शातिर चीन को सिर्फ भारत से ही नहीं, धीरे-धीरे सारी दुनिया के देशों से निकाल बाहर किया जाएगा. चीन की विस्तारवादी सोच और साजिशाना हरकतें सारी दुनिया की निगाहों में आ गई है. अब दक्षिण कोरिया, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश जैसे तीन-चार पैसे से खरीदे पिछलग्गुओं की दम पर अगर हेकड़ी दिखाने की मंशा पाले हुए है चीन तो ये उसकी महा-मूर्खता से अधिक कुछ भी नहीं है.   


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 ''नियमों को लचीला बनाये भारत''


चीन भारत के खिलाफ नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश का गिरोह तैयार कर रहा है और चाहता है कि भारत चीनी कंपनियों को गोदी में बैठाये रखे. अब कांग्रेस सरकार नहीं है, भारत में मोदी सरकार है जो ऐसा हरगिज होने नहीं देगी. अब जब चीनी कंपनियों को निवेश के लिए सुरक्षा मंजूरी नहीं मिल रही है तो चीन भारत पर दबाव बनाने की कोशिश में है कि भारत अपने नियमों को लचीला बनाये.


WTO जाने का विकल्प


चीन को पता है कि मोदी सरकार ने जो फैसला कर लिया अब उससे पीछे नहीं हटेगी और देश के दुश्मनों को देश में पनाह नहीं मिलेगी. ऐसे में चीन भारत में अपनी कंपनियों को सुरक्षा दिलाने की कोशिश में विश्व व्यापार संगठन अर्थात डब्ल्यूटीओ में गुहार लगाने की संभावना पर विचार कर रहा है. इधर भारत में सुरक्षा मंजूरी में विलम्ब होने के कारण बहुत सी चीन कंपनियां अपना बोरिया बिस्तर बाँध रही हैं. 


सैकड़ों कंपनियों को नहीं मिली मंजूरी 


चीन ने भारत के साथ अप्रेल माह में ही सैन्य गतिरोध शुरू किया था. भारत ने अप्रेल से ही राजनयिक स्तर पर चीन के इरादे भांप लिए थे और तब तुरंत भारत सरकार ने व्यापार के मोर्चे पर ज्यादा सख्ती दिखाने का निर्णय कर लिया. अब चीन की कंपनियों समझ गई हैं कि वे भारत की कठोर शर्तें पूरी नहीं कर पाएंगी. ऐसे में उनके पास अब निकल लेने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है. 


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