चीन की दोस्ती जी का जंजाल - ओली होने वाले हैं फटेहाल
चीन के भरोसे भारत से शत्रुता करके अपनी राजनीति का खोखा चमकाने की मंशा नुकसानदेह साबित होने वाली है खड्ग प्रसाद ओली के लिये..प्रधानमंत्री पद तो उनका जाएगा ही, पार्टी अध्यक्ष पद से भी हाथ धोना पड़ेगा जल्दी ही..
नई दिल्ली. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने चीन का सहारा लेकर पारम्परिक मित्र भारत के खिलाफ मोर्चा खोला तो अब पुष्प कमल दहल प्रचंड ने देश की जनभावना का साथ ले कर मोर्चा खोला है ओली के खिलाफ. स्थिति अब इस तरह की बन रही है कि आने वाले दिनों में केपी ओली को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है और इतना ही नहीं बल्कि उनके हाथ से पार्टी का अध्यक्ष पद भी छीन लिया जा सकता है.
भारत विरोधी ओली पर 'प्रचंड' क्रोध
नेपाल के दो बार प्रधानमंत्री रह चुके पुष्प्प कमल दहल को प्रचंड नाम से भी जाना जाता है. वे नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के चेयरमैन भी हैं. प्रचंड ने खड्ग प्रसाद पर निगाहें टेढ़ी कर ली हैं और लगता है कि आने वाले दिनों में 'प्रचंड' क्रोध ओली पर भारी पड़ सकता है. प्रचंड का कहना है कि नेपाल को पाकिस्तान नहीं बनने देंगे, अब ओली से इस्तीफ़ा लेंगे.
मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री जैसी हालत ओली की
मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री ने भारत विरोध किया तो अपना पांच वर्षीय कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए और निकाल बाहर कर दिए गए. और उनको न खुदा ही मिला न विसाले सनम. अब इसी तरह धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का बनने वाले हैं खड्ग प्रसाद शर्मा ओली जिनको उनका नया बाप चीन भी बचा नहीं पायेगा.
स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में होगा फैसला
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी इस देश में सरकार चला रही है और अब इस पार्टी के भीतर ही उठापटक घमासानी स्तर पर है. पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी अपनी आगामी बैठक में ओली को पद सकती है गोली अर्थात उनका हो सकता है कामतमाम. ओली का का राजनीतिक भविष्य भी खत्म हो सकता है और तमाम भ्र्ष्टाचारों को लेकर विपक्षी दल उन पर मुकदमा भी दायर कर सकते हैं.
ये भी पढ़े. चीनी अतिक्रमण के खिलाफ नेपाल में बगावत तेज! विरोध की गूंज संसद में