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नई दिल्ली.  दिल्ली हिंसा का मामला दुनिया में कहीं गया हो या न गया हो, इंग्लैण्ड जरूर पहुंच गया. ब्रिटिश संसद के ऐसे संसद जिन्हें न दिल्ली के इन दंगों की कोई जानकारी है न ज़मीनी तथ्यों के बारे में कुछ पता है किन्तु फिर भी भारत विरोधी मानसिकता नज़र आई जब दिल्ली हिंसा मामले पर ब्रिटेन की निचली संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में बहस करने की कोशिश की गई. 


ब्रिटिश सरकार से हस्तक्षेप की मांग 


निचले सदन हाउस ऑफ़ कॉमन्स में कुछ सांसदों ने दिल्ली हिंसा को मुद्दा बना कर संसद में उठाया और उस पर बहस करने की कोशिश की. इसी दौरान भारत विरोधी मानसिकता वाले भारत मूल के ही एक सांसद ने ब्रिटिश सरकार से आग्रह किया कि वह हस्तक्षेप करे. लेकिन सरकार ने अंतरराष्ट्रीय कानून का हवाला देकर हस्तक्षेप करने से साफ़ इंकार कर दिया. 



 


लेबर पार्टी का सांसद है तनमजीत सिंह 


हाउस ऑफ़ कॉमन्स में दिल्ली हिंसा का मामला उठा कर सरकार से हस्तक्षेप की मांग करने वाला यह सांसद  तनमजीत सिंह लेबर पार्टी से ताल्लुक रखता है. जब इसने बार-बार सरकार पर ज़ोर डालने की कोशिश की तो ब्रिटेन के विदेश राज्यमंत्री ने भारत सरकार से इस मुद्दे पर बात करने का आश्वासन देकर मामले को विराम दिया.तनमजीत ने न केवल भारत की छवि खराब करने की नाहक कोशिश की बल्कि तथ्यों को भी गलत तरह से पेश करके भारत-विरोधियों की वाहवाही हासिल की.


कहा - चौरासी के सिख दंगों की याद आ गई 


तनमनजीत सिंह ढेसी ने ब्रिटिश संसद में कहा कि दिल्ली में जो हिंसा हो रही है, वो 1984 के सिख दंगों  की याद दिला रही है. भारत के मूल मुद्दों के प्रति अज्ञानता रखने वाले इस नामाकूल सांसद तनमनजीत ने ज़ोर डालते हुए शाहीन बाग़ की बात उठाई और उसे दिल्ली दंगों से सीधा जोड़ दिया. उसने कहा कि  दिल्ली की सड़कों पर एक वर्ग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहा था जिसे दूसरे वर्ग ने सहन नहीं किया और  उन पर हिंसक हमला कर दिया, जिससे दिल्ली में हिंसा भड़क गई. 


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