नई दिल्ली. चुनाव सर पर हैं. डोनाल्ड ट्रंप जानते हैं कि जनता के लिये अपने उपहारों का पिटारा खोलने का समय इससे बेहतर कोई दूसरा नहीं हो सकता. कोरोना काल में राष्ट्रपति ने अमेरिका के बेरोजगारों को खुश कर दिया और संसद को बता दिया कि जनता की भलाई पहले है, संसद बाद में.


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महामारी ने गिराई अमेरिकन अर्थव्यवस्था


चीन से निकल कर फैले कोरोना वायरस ने कई देशों की अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है. अमेरिका भी इसका अपवाद नहीं है. कोरोना संक्रमण के कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था को करारी चोट पहुंची है. ऐसे में बेराजगारी भत्ता जारी रखना अमेरिका के लिये न आसान लग रहा था न ही मुमकिन.


डेमोक्रेट्स ने किया था विरोध


अमेरिकन संसद चाहती थी कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करना देश के लिये पहले जरूरी है. ऐसे में ज्यादातर जन-सुविधाओं और जनता के कल्याण में किये जा रहे खर्चों को वापस लिया जा रहा है. डेमोक्रेट्स का भी यही मत था कि अभी बेरोजगार भत्ता वापस ले लिया जाये.


ट्रम्प ने खुद ले लिया फैसला  


डोनाल्ड ट्रम्प यही चाहते थे. जब संसद विरोध कर रही हो और अमेरिका के राष्ट्रपति विरोध पर वीटो का हथियार चला कर जनता के लिये कुछ राहत देंगे तो जनता उन्हें देश का सच्चा नेता मानेगी. यही सोच कर अचानक डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा कर दी कि वे बेरोजगारी भत्ता वापस नहीं ले रहे हैं क्योंकि कोरोना काल में देश के बेरोजगारों को इसकी सख्त आवश्यकता है.


बिडेन पर बना ली बढ़त


डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूजर्सी के बेडमिंस्टर में अपने फार्म हाउस में बेरोजगारी भत्ते के पक्ष में कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. अब चीनी वायरस के कारण पैदा हुई वैश्किव महामारी के दौर में अमेरिकियों के लिए बेरोजगारी लाभ जारी करके उन्होंने नवंबर 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में अपने विरोधी जो बिडेन पर बढ़त बना ली है.


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