Doomsday clock: कयामत की घड़ी पर आज टाइम सेट करेंगे वैज्ञानिक, तय होगा मानवता के विनाश का वक्त
पिछले दो साल से डूम्ज़्डे क्लॉक की सुई आधी रात से 100 सेकंड पहले पर टिकी है, लेकिन जिस तरह रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हो रहा है, दुनिया भर में जलवायु आपदाएं आ रही हैं और दुनिया भर में कोरोनोवायरस के मामले बढ़ रहे हैं, परमाणु वैज्ञानिक इस घड़ी का वक्त बढ़ा सकते हैं.
लंदन: आखिर दुनिया पर मानवता के अंत का कितना खतरा मंडरा रहा है? कोरोना वायरस, स्पेस में अमेरिका-रूस और चीन के बढ़ते टकराव, जलवायु आपदाओं और दुनिया में बढ़ते युद्ध का इंसानों पर क्या असर होगा? इन सवालों का जवाब आज मिलेगा, जब वैज्ञानिकों का एक समूह डूम्ज़्डे क्लॉक (कयामत की घड़ी) पर टाइम सेट करेंगे. कयामत की घड़ी ने 1947 से मानवता के विनाश की आशंका पर नज़र रखी है और गुरुवार को वैज्ञानिकों का एक पैनल हमारे भाग्य का निर्धारण करने के लिए 75वीं बार फिर से इसका अनावरण करेंगे. बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स की योजना 20 जनवरी, सुबह 10:00 बजे ईएसटी (1500 जीएमटी) पर कार्यक्रम की लाइवस्ट्रीम करने की है.
पिछले दो साल से डूम्ज़्डे क्लॉक की सुई आधी रात से 100 सेकंड पहले पर टिकी है, लेकिन जिस तरह रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हो रहा है, दुनिया भर में जलवायु आपदाएं आ रही हैं और दुनिया भर में कोरोनोवायरस के मामले बढ़ रहे हैं, परमाणु वैज्ञानिक इस घड़ी का वक्त बढ़ा सकते हैं.
क्या है कयामत की घड़ी या डूम्ज़्डे क्लॉक
डूम्ज़्डे क्लॉक एक प्रतीक है जो मानव निर्मित वैश्विक तबाही की संभावना का प्रतिनिधित्व करता है. यह घड़ी बताती है कि अनियंत्रित वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति से मानवता को कितना खतरा है. यह एक प्रतीकात्मक उलटी गिनती है जो यह दर्शाती है कि वैश्विक तबाही को पूरा करने के लिए मानवता कितनी करीब है. परमाणु वैज्ञानिकों ने 1947 में इसे बनाया था. हर साल जनवरी में इसका टाइम सेट किया जाता है.
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घड़ी की स्थापना मैनहट्टन परियोजना में शामिल अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पहले परमाणु हथियारों का नेतृत्व किया था. बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स के पहले एडिटर यूजीन रैबिनोविच के अनुसार, कलाकार मार्टिल लैंग्सडॉर्फ को घड़ी बनाने के लिए कमीशन दिया गया था और एक ऐसी छवि बनाने के लिए कहा गया था जो 'मनुष्य को तर्कसंगतता में डराएगी'. लैंग्सडॉर्फ ने तात्कालिकता को दर्शाने के लिए एक स्ट्रिप्ड-डाउन घड़ी विकसित की.
टाइम सेट का आधार क्या है
इसका समय वैज्ञानिकों के समूह द्वारा निर्धारित किया जाता है जो साल भर की घटनाओं को देख कर इसका टाइम सेट करते हैं. इसमें राजनीति, ऊर्जा, हथियार, कूटनीति और जलवायु विज्ञान के साथ-साथ परमाणु खतरे, जलवायु परिवर्तन, जैव आतंकवाद और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे खतरे के संभावित स्रोत शामिल हो सकते हैं.
कैसे बढ़ा-घटा टाइम
1947 में घड़ी की मूल सेटिंग मध्यरात्रि से सात मिनट पहले थी. तब से इसे 24 बार पीछे और आगे सेट किया गया है. यह घड़ी सबसे ऊपर थी जब 1953 में शीत युद्ध था. 1991 में मध्यरात्रि से यह सबसे दूर 17 मिनट थी (जब शीत युद्ध खत्म हो गया). जबकि 2020 और 2021 में यह मध्यरात्रि से 100 सेकेंड दूर रह गई है.
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