नई दिल्लीः यूरोपीय संघ (EU) रूसी तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल तय करने पर अस्थायी रूप से सहमत हो गया है. पश्चिमी प्रतिबंधों का उद्देश्य कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए वैश्विक तेल बाजार को फिर से व्यवस्थित करना और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को निधि से वंचित करना है.


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ईयू का यह कदम काफी अहम है
पश्चिमी देशों की सोच है कि ऐसा होने से व्लादिमीर पुतिन इसका इस्तेमाल यूक्रेन में युद्ध के लिए नहीं कर पाएंगे. ऐसे में यूरोपियन यूनियन का यह कदम काफी अहम है. 


इस फैसले का आधिकारिक होना बाकी
यूरोपीय संघ के अध्यक्ष ने एक बयान में कहा, ‘राजदूत अभी रूसी समुद्री तेल के लिए कीमत तय करने को लेकर एक समझौते पर पहुंचे हैं.’ निर्णय को अभी एक लिखित प्रक्रिया के साथ आधिकारिक रूप से अनुमोदित किया जाना चाहिए, लेकिन इसमें किसी रुकावट की आशंका नहीं है. 


रूसी तेल पर सोमवार से लागू होंगे प्रतिबंध
उन्हें रियायती मूल्य निर्धारित करने की आवश्यकता थी, जिसका अन्य देश सोमवार तक भुगतान करेंगे. समुद्र की ओर से भेजे जाने वाले रूसी तेल पर यूरोपीय संघ का प्रतिबंध सोमवार को लागू होगा और इस आपूर्ति के लिए बीमा पर प्रतिबंध भी तभी से प्रभावी होता है. 


कीमत तय करने का उद्देश्य आपूर्ति में कमी को है रोकना
कीमत तय करने का उद्देश्य दुनिया में रूसी तेल की आपूर्ति में अचानक कमी आने को रोकना है, क्योंकि इससे ऊर्जा स्रोतों की कीमतों में एक नया उछाल आ सकता है और ईंधन के दाम बढ़ सकते हैं.


कई देशों में ऊर्जा संकट हुआ पैदा
बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध लंबे समय से चल रहा है. जहां पश्चिमी देश यूक्रेन के समर्थन में हैं और रूस पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगा रहे हैं, वहीं भारत इस युद्ध को खत्म करने की मांग कर रहा है. युद्ध के चलते कई देशों में ऊर्जा संकट पैदा हो गया है. 


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