नई दिल्ली. माना कि अमेरिका के राष्ट्रपति बोलते-बोलते कुछ उल्टा-सुल्टा भी बोल जाते हैं कभी-कभी. लेकिन इस बात पर उनके पीछे लट्ठ ले कर पड़ जाना तो अच्छी बात नहीं है. वे अमेरिका के राष्ट्रपति हैं उनकी भी कोई इज्जत है. सवाल ये है कि शब्दों पर जाना क्या जरूरी है? भावनाओं पर भी तो जाया जा सकता है. इसी बात को लेकर अब भिड़ गए हैं सोशल मीडिया के दो बड़े जमीन्दार -  जुकरबर्ग और डोर्सी.


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ट्रम्प की फिर कर दी फैक्ट चेकिंग


माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर भी अपने काम का पक्का है. चाहे राजा हो या रंक - फैक्ट चेकिंग सबकी करता है. ट्विटर पर झूठ सीईओ जैक डोर्सी को नापसंद है. भले ही इस परम्परा की शुरुआत डोनाल्ड ट्रम्प की फैक्ट चेकिंग से ही क्यों न हुई हो. ट्विटर ने एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट की फैक्ट चेकिंग कर दी और उनको गलत करार दिया. दूसरे शब्दों में कहें तो ट्विटर ने दुनिया को बता दिया कि डोनाल्ड ट्रम्प झूठ बोलते हैं.


फैक्ट चेकिंग से मच गया हल्ला


दुनिया हंसी तो हंसी, डोनाल्ड ट्रम्प बदनाम हुए तो हुए, लेकिन ये हरकत अमेरिका में पसंद नहीं की गई और जम कर हल्ला मच गया ट्विटर के खिलाफ. फेसबुक को भी गुस्सा आया और उसने कहा मैंने तो पहले ही कहा था... जो भी हो फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने मौक़ा देख कर ट्विटर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और फैक्ट चेकिंग की हिमाकत पर जम कर जैक डोर्सी की आलोचना की. .


यूज़र पॉलिसी ठीक होनी चाहिए


हाल ही में दिए एक टीवी इंटरव्यू में जुकरबर्ग ने फेसबुक और ट्विटर की यूज़र पॉलिसी की तुलना करते हुए कहा कि ट्विटर को अपनी यूज़र पालिसी ठीक करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि - जिस तरह फेसबुक अपने ऑनलाइन मंच पर लोगों द्वारा कही गई बातों के लिए न्यायकर्ता नहीं बनता है ऐसा ही ट्विटर को भी करना चाहिए. निजी कंपनियों को तो विशेषकर इस तरह की बातों से बचना चाहिए.


डोर्सी ने कहा जारी रहेगी फैक्ट चेकिंग


जैसी उम्मीद थी, सिद्धांतवादी डोर्सी समझौता करना पसंद नहीं करते. उनके लिए अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प और बांग्लादेश की शेख हसीना एक बराबर हैं. उन्होंने साफ़ कर दिया कि ट्विटर सत्य का समर्थक है किन्तु सत्य का मध्यस्थ नहीं. हम किसी व्यक्ति या संस्था के निजी हित में अपने ऑनलाइन मंच की पारदर्शिता वाली खिड़की बंद नहीं करेंगे, हमारी फैक्ट चेकिंग जारी रहेगी.


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