नई दिल्लीः पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में शामिल किए जाने के प्रस्तावों को बार-बार बाधित किए जाने के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का इस्तेमाल ‘राजनीतिक औजार’ के रूप में नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बगैर कोई कारण बताए किसी चीज को बाधित करना व्यावहारिक और संवेदनशील बर्ताव नहीं है. 


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'पारदर्शी होने की जरूरत'
विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क यात्रा का समापन करते हुए शनिवार को कहा, ‘हमारा मानना है कि अगर किसी प्रक्रिया में कोई पक्ष फैसला करता है तो उसे इस बारे में पारदर्शी होने की जरूरत है. ऐसे में बिना कारण बताए किसी चीज को बाधित करना व्यावहारिक और संवेदनशील बर्ताव नहीं है.’ 


वह संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादियों की सूची में पाकिस्तान के आतंकियों के नाम शामिल करने के प्रस्ताव को बार-बार बाधित किए जाने के बारे में ‘पीटीआई-भाषा’ की ओर से पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. उनसे यह भी सवाल किया गया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय बैठक के दौरान क्या यह विषय उठा था. बैठक में जयशंकर विभिन्न देशों के अपने समकक्षों के साथ शामिल हुए थे. 


ब्रिक्स देशों की बैठक में बोले विदेश मंत्री
जयशंकर ने कहा, ‘यह मुद्दा मेरी कई बैठकों में उठा है. मैंने ब्रिक्स देशों के साथ बैठक में भी इसका उल्लेख किया था.’ उन्होंने यह बात संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर बृहस्पतिवार को ब्रिक्स के सदस्यों-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका-के विदेश मंत्रियों की बैठक का संदर्भ देते हुए कहा. 
इस बैठक में जयशंकर के अलावा ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस अल्बर्टो फ्रैंको फ्रांका, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं सहयोग मामलों के मंत्री नलैदी पैंडर शामिल हुए. 


चीन ने कई बार लगाया अड़ंगा
पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले वाले आतंकवादियों को सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 अलकायदा प्रतिबंध सूची में शामिल कराने के भारत, अमेरिका और अन्य देशों के प्रयास को यूएनएससी में वीटो अधिकार रखने वाले देश चीन ने कई बार बाधित किया है. 


साजिद मीर को आतंकी घोषित करने से रोका
पिछले हफ्ते चीन ने अमेरिका की ओर से पेश किए गए और भारत द्वारा समर्थित एक प्रस्ताव को रोक दिया था. यह प्रस्ताव लश्कर ए तैयबा के आतंकी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए लाया गया था. वह मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमलों में संलिप्तता को लेकर वांछित है. 


इस साल जून में चीन ने भारत और अमेरिका के एक प्रस्ताव को आखिरी क्षणों में रोक दिया था. यह प्रस्ताव पाकिस्तान में मौजूद आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने के लिए लाया गया था. 


'आतंकवाद राजनीतिक नहीं है'
जयशंकर ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि कारण बताया जाएगा और लोग मनमाने तरीके से या राजनीतिक रूप से बाधा नहीं डालेंगे.’ उन्होंने कहा कि कहने का अभिप्राय यह है, ‘यह कोई अंतर-राज्यीय राजनीति नहीं है, जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हम अपना यह स्पष्ट संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं आतंकवाद राजनीतिक नहीं है. इसका इस्तेमाल राजनीतिक औजार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए. इसके परिणाम राजनीतिक नहीं बनाए जाने चाहिए.’


उन्होंने कहा, ‘यदि आप संयुक्त राष्ट्र में जाएंगे और कहेंगे कि क्या हर कोई आतंकवाद को साझा खतरा मानता है. प्रत्येक व्यक्ति इसका ‘हां’ में जवाब देगा. इसलिए हम भी यह कह रहे हैं.’


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