नई दिल्ली. जहां एक तरफ रूस, ऑक्सफोर्ड और भारत की वैक्सीनें लांच होने से पहले अपने आखिरी मुकाम पर हैं,  डब्ल्यूएचओ के इस बयान में जलन मिश्रित क्रोध की दुर्गंध आती है. रूस ने कहा कि उसकी वैक्सीन अगस्त में आ जायेगी और ब्रिटेन का दावा है कि उसकी वैक्सीन सितंबर-अक्टूबर तक लांच हो जायेगी.  आऱ यहां ऐसे वक्त में जब दुनिया को वैक्सीन की बेहद जरूरत है, डब्ल्यूएचओ को वैक्सीन बनाने वालों और कोरोना मरीजों का हौसला बढ़ाना चाहिए, वह इस तरह के अनर्गल प्रलाप में लगा हुआ पाया जा रहा है.


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मन में मौन हो गए हैं टेड्रोस 


अब चूंकि डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेडरोस गेब्रेसस लगातार अमेरिका के निशाने पर हैं और वे चीन के साथ अपनी मिलीभगत के आरोप का कोई संतोषजनक सफाई भी पेश नहीं कर पाए हैं, इसलिए मुंह पर चुप्पी का मास्क लगा कर घर पर क्वारेंटाइन हो गए हैं. अब उनकी तरफ से उनकी बात उनके दूसरे चंगू-मंगू डब्ल्यूएचओ के मंच से अपने बयानों के द्वारा पेश कर रहे हैं. 


माइक रेयान ने दिया बयान 


दवाई के लिए अगले साल तक प्रतीक्षा करने वाला निराशाजनक बयान डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रमुख माइक रेयान ने दिया है. उनके बयान में कोरोना साजिश में पकड़ा गया चीन के पार्टनर डब्ल्यूएचओ की हताशा अधिक दिखाई दे रही है और सामने दिख रही वास्तविकता को नज़र अंदाज़ करने की धूर्तता कम. 


''कोरोना पर लगाम अभी ज्यादा जरूरी''


इमरजेंसी प्रमुख ने हताश डब्ल्यूएचओ की अपनी नकारात्मक सोच पर होने वाली आलोचना से बचने के लिए साथ ही ये समझाइश भी दे डाली है कि फिलहाल वैक्सीन पर ध्यान देने की ज़रूरत उतनी नहीं है जितनी कोरोना वायरस का संक्रमण रोकना जरूरी है.


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